
India gains strong support from Kuwait and the USA for permanent membership in the UN Security Council. A significant step towards UNSC reforms
भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता के लिए कुवैत और अमेरिका का समर्थन मिला है। सुरक्षा परिषद में सुधार की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
नई दिल्ली/संयुक्त राष्ट्र (शाह टाइम्स) भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता दिलाने की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है। संयुक्त राष्ट्र में सुधार को लेकर चल रही अंतरसरकारी वार्ता (Intergovernmental Negotiations – IGN) के अध्यक्ष और कुवैत के राजदूत तारिक अलबनई ने भारत को प्रमुख दावेदार बताया है। इस बयान के साथ ही अमेरिका, फ्रांस और रूस के बाद अब एक मुस्लिम देश की ओर से भी भारत को समर्थन मिलने से इसकी उम्मीदें और मजबूत हो गई हैं।
भारत का पुराना और मजबूत दावा
भारत वर्षों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ढांचे में सुधार की मांग करता आ रहा है और G4 देशों (भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान) के साथ मिलकर इस दिशा में लगातार सक्रिय है। भारत का तर्क है कि वर्तमान परिषद विश्व की हकीकत को नहीं दर्शाती, और वैश्विक शक्ति संतुलन के अनुसार इसका पुनर्गठन आवश्यक है।
कुवैत का बड़ा समर्थन
राजदूत तारिक अलबनई ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि सुरक्षा परिषद का विस्तार होता है और सदस्य देशों की संख्या 21 से बढ़ाकर 27 की जाती है, तो भारत इसका एक प्रमुख दावेदार होगा। उन्होंने भारत की वैश्विक भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि भारत आज एक बड़ा और महत्वपूर्ण देश बन चुका है, जिसकी आवाज संयुक्त राष्ट्र में सुनी जानी चाहिए।
धर्म के आधार पर सदस्यता का विरोध
भारत ने हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन की उस मांग को खारिज किया था, जिसमें उन्होंने किसी मुस्लिम देश को स्थायी सदस्यता दिए जाने की वकालत की थी। भारत का स्पष्ट कहना है कि स्थायी सदस्यता किसी भी देश को उसके योगदान, प्रभाव और वैश्विक भूमिका के आधार पर मिलनी चाहिए, न कि धर्म के आधार पर।
प्रमुख देशों का समर्थन, चीन का विरोध
फ्रांस, रूस और अमेरिका पहले ही भारत की सदस्यता के पक्ष में हैं, जबकि पाकिस्तान इसका विरोध करता रहा है और चाहता है कि किसी प्रकार का विस्तार न हो। चीन भी भारत की स्थायी सदस्यता के खिलाफ है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि एशिया में भारत उसके समान स्तर पर पहुंचे।
आगे का रास्ता कठिन लेकिन उम्मीद भरा
राजदूत अलबनई ने माना कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार की प्रक्रिया जटिल है, लेकिन इसमें धीरे-धीरे प्रगति हो रही है। उन्होंने बताया कि भारत और ऑस्ट्रिया के राजदूतों ने इस मुद्दे पर उच्च स्तरीय चर्चा की है और यह संवाद आगे भी जारी रहेगा।
विरोध अभी भी है एक बड़ी चुनौती
कुवैत जैसे मुस्लिम देश का समर्थन और अमेरिका जैसे महाशक्ति की पहले से मौजूद हामी भारत की स्थायी सदस्यता की संभावना को सशक्त बनाते हैं। हालांकि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों का विरोध अभी भी एक बड़ी चुनौती है, लेकिन वैश्विक समीकरणों और भारत की बढ़ती भूमिका को देखते हुए सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट अब एक दूर का सपना नहीं लगती।