रविवार को केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में महासम्मेलन किया, जिसमें वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर बरसे। हालांकि वह पहले भी पीएम मोदी पर काफी आक्रामक रहे हैं, उन्होंने उनकी डिग्री पर भी काफी आक्रामक तरीके से सवाल उठाए हैं
नई दिल्ली। रविवार को केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में महासम्मेलन किया, जिसमें वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर बरसे। हालांकि वह पहले भी पीएम मोदी पर काफी आक्रामक रहे हैं, उन्होंने उनकी डिग्री पर भी काफी आक्रामक तरीके से सवाल उठाए हैं और इस महासम्मेलन में उन्होंने इशारों-इशारों में एक चौथी पास राजा की कहानी सुना डाली। जाहिर है, उनका इशारा पीएम मोदी की ही तरफ था। वे कई अवसरों पर कहते भी रहे हैं कि अगर किसी देश का प्रधानमंत्री अनपढ़ हो, तो इसी तरह के नतीजे आएंगे, जिस तरह देश में आते दिखाई दे रहे हैं। महासम्मेलन में केजरीवाल के तेवर वास्तव में काफी आक्रामक थे, उनके तेवर बताते हैं कि अब उन्होंने मान लिया है कि आक्रामकता ही बचाव का बेहतरीन तरीका है। उन्होंने बेबाक शब्दों में कहा कि पहली बार ऐसे प्रधानमंत्री देश में आए हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश और संविधान को नहीं मानते।
उनका कहना था कि केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। उनके अनुसार अध्यादेश कहता है कि दिल्ली की जनता अब सुप्रीम नहीं है और प्रधानमंत्री ने संविधान के परखच्चे उड़ा दिए। उन्होंने यह संकल्प भी दोहराया कि वे इस अध्यादेश को खारिज कराकर रहेंगे। उन्होंने कहा भी कि मैं पूरे देश में सभी नेताओं के पास इस अध्यादेश को रद्द कराने के लिए घूमा हूं और सभी ने मुझे पूरा आश्वासन दिया है। उनका कहना था कि रामलीला मैदान में अब से 12 साल पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ इकट्ठा हुए थे, अब तानाशाही को खत्म करने के लिए फिर से इकट्ठा होंगे। महासम्मेलन में सपा समर्थक राज्यसभा सदस्य एवं जाने-माने वकील कपिल सिब्बल भी मौजूद थे। उन्होंने भी बेहद बेबाक अंदाज में कहा कि हिन्दुस्तान में संविधान का मजाक हो रहा है और मोदी सरकार ने सभी संस्थाओं को गोदी में बैठा लिया है, जिससे लोकतंत्र और भाईचारा खतरे में है।
उन्होंने आह्वान किया था कि सभी विपक्षी दलों को एकजुट होकर मोदी का मुकाबला करना चाहिए। केजरीवाल की यह भाषा कोई अकेले किसी विपक्षी नेता की नहीं है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित तमाम विपक्षी नेता इसी तरह की भाषा बोलते रहे हैं और इस बात को लेकर एक मत हैं कि देश में लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है और सभी संवैधानिक संस्थाओं भाजपा व आरएसएस ने कब्जा जमा लिया है और वह केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं। विशेषकर ईडी व सीबीआई यहां तक कि चुनाव आयोग पर तमाम विपक्षी दल निशाना साधते रहे हैं। न्यायपालिका को लेकर भी सवाल उठते रहते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार के लिए भी यह जरूरी हो जाता है कि वह इस बात पर गंभीरता से मंथन करें कि आखिर उसके काम करने की शैली में कहां चूक हो रही है। सभी को समझना होगा कि सरकारें आती हैं जाती हैं, लोकतंत्र की यह सामान्य प्रक्रिया है, ऐसे में ऐसा कोई काम न हो जिससे हमारे लोकतंत्र की साख प्रभावित हो । http://www.shahtimesnews.com