चुनावी मौसम में क्यों बदल जाती हैं सियासी दलों की जुबान

BRS Congress Rahul Gandhi

तेलंगाना में बीआरएस और कांग्रेस में हो रही सीधी लड़ाई

हैदराबाद से तौसीफ़ कुरैशी

हैदराबाद। जब नेता अपनी जुबान से ज़हर उगलने लगे या प्यार उड़ेलने लगे तो समझ में आ जाता है कि चुनाव करीब है अंतरराष्ट्रीय शायर राहत इंदौरी रह शायराना अंदाज़ में कहते थे कि सीमाओं पर तनाव है क्या ज़रा पता तो करो चुनाव हैं क्या।

हमारे देश में कहीं न कहीं चुनाव चलता ही रहता है इसीलिए एक साथ चुनाव की बात की जाती हैं यह बात अलग है कि यह संभव नहीं है। इस समय देश में पांच राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं उनमें तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व मिजोरम इन राज्यों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व मिज़ोरम में कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर है फिलहाल कांग्रेस की हालत काफी मजबूत मानी जा रही है भाजपा का कोई हिंदू मुस्लिम नहीं चल पा रहा जिसकी वजह से भाजपा हैरान और परेशान हैं कर्नाटक में भी बजरंग दल का बजरंग बली करने की बहुत कोशिशें की गई लेकिन जनता ने उसे नकार दिया था और कांग्रेस को जीता मोदी और उनकी मंडली को एक संदेश देने की कोशिश की थी कि अब मुद्दे मायने रखते हैं हिंदू मुस्लिम नहीं बहुत हो चुका हिंदू मुसलमान अब होगी मुद्दों की बात और यहां भाजपा फेल हो जाती हैं उसके पास हिंदू मुसलमान के अलावा कुछ नहीं है।एक राज्य तेलंगाना है जहां लड़ाई कांग्रेस और वहां की क्षेत्रीय पार्टी बीआरएस में हो रही है।

तेलंगाना राज्य 2014 में कांग्रेस की यूपीए सरकार ने आंध्र प्रदेश से अलग करके बनाया था इस राज्य को बनाने की मांग 1956 से चली आ रही थी। तेलंगाना कुल जनसंख्या 8.5 करोड़ है शिक्षा दर 66.46 है राज्य में मुसलमानों की संख्या 12% है। राज्य की आधारिक भाषा तेलगू दूसरी भाषा उर्दू हैं तेलगू भाषा बोलने वालों की संख्या 75% है उर्दू बोलने वाले 12% है। राज्य विधानसभा में कुल 119 सीट है और लोकसभा की 17 राज्यसभा की 7 सीट हैं। राज्य में सियासी दलों में के चंद्रशेखर राव की क्षेत्रीय पार्टी बीआरएस, कांग्रेस, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी  एआईएमआईएम व भाजपा भी है असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी मात्र हैदराबाद क्षेत्र में ही सात सीटों पर चुनाव लड़ती हैं और जीत भी जाती हैं। इस बात पर देशभर के मुसलमान असदुद्दीन ओवैसी पर सवाल खड़े करते हैं कि अपने राज्य में ओवैसी जी मात्र सात सीटों पर लड़ेंगे और अन्य राज्यों में सभी सीटों पर लड़ेंगे इससे उन पर भाजपा से मिले होने के आरोप लगते है यह देखने पर आरोपों में दम लगता है अब यह तो ओवैसी जी ही साफ़ कर सकते हैं कि यह आरोप सही हैं या नहीं हालांकि उन्होंने रमजान में कसम खा कर यह बात कही थी कि मेरा भाजपा से कोई संबंध नहीं है लेकिन यह बात साफ़ नहीं हो पाईं कि तेलंगाना में मात्र सात ही सीट पर क्यों लड़ते हैं।

संयुक्त आंध्र प्रदेश के सियासी हालात पर गौर करें तो पता चलता है कि 2009 में यहां कांग्रेस की बंपर जीत हुई थी 294 वाली विधानसभा में कांग्रेस को 156 सीट मिली थी और एक क्षेत्रीय पार्टी पीआरपी पार्टी ने 18 सीटें जीती थीं और कांग्रेस में विलय कर लिया था टीडीपी ने 92 सीटें जीत मुख्य विपक्ष की भूमिका मिली थी।जब की टीआरएस आज की बीआरएस ने मात्र 10 सीटें जीती थीं और एआईएमआईएम असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी मात्र सात सीटों पर चुनाव लड़ी थी सातों सीटों पर जीत हासिल कर ली थी जबकि भारतीय जनता पार्टी को दो सीटों पर संतोष करना पड़ा था।2014 में राज्य बन जाने के बाद हुए चुनाव में बीआरएस के चंद्रशेखर राव की पार्टी ने अपना परचम लहराया और 63 सीटें जीत सत्ता हासिल की इस चुनाव में कांग्रेस को मात्र 21 सीटें मिली एआईएमआईएम असदुद्दीन ओवैसी को इस बार भी सात ही सीट मिली टीडीपी को 15 सीट पर संतोष करना पड़ा भाजपा को मात्र पांच सीट मिली।

2018 के चुनाव में 119 सीटों वाली विधानसभा के चुनाव में के चंद्रशेखर राव की पार्टी बीएसआर को इस बार 88 और कांग्रेस को 19, एआईएमआईएम असदुद्दीन ओवैसी को सात सीट मिली, टीडीपी को दो सीट और भाजपा को मात्र एक सीट ही मिल पाईं।2019 के लोकसभा चुनाव में बीआरएस ने लोकसभा की 17 में से 9 सीटों पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रवाद के तड़के के बावजूद भाजपा मात्र 4 सीट ही जीत पाईं लेकिन बीआरएस के द्वारा जीती गई 9 सीटें भी एक एतबार से भाजपा के ही पास थी क्योंकि चाहे राज्यसभा हो या लोकसभा बीआरएस भाजपा की मदद करती रही है इससे इंकार नहीं किया जा सकता हैं यहीं बात के चंद्रशेखर राव की पार्टी बीएसआर को इस बार नुकसान दें रही है वहां की जनता राहुल गांधी में विश्वास दिखाती दिख रही है राहुल गांधी की सभाओं में आ रही भारी भरकम भीड़ यही संदेश दे रही है कि तेलंगाना में इस बार कांग्रेस मजबूत है और हो सकता हैं कि वह राज्य की सत्ता पर काबिज हो जाएं।कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में दी गई पांच गारंटियों की तरह तेलंगाना में भी घोषणा कर दी हैं ।

महिलाओं के लिए 2500 सौ रुपए प्रतिमाह, 500 रूपए में गैस सिलेंडर, गरीबों को घर बनाने के लिए 5 लाख रुपए सहायता के रुप में देने की घोषणा की है तेलंगाना आंदोलन सेनानियों को 250 वर्ग गज जमीन देने की घोषणा कर दी है और कालेज छात्रों को पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता की घोषणा की है 4000 रुपए मासिक पेंशन देने की घोषणा की है हर साल किसानों को 15000 रूपए और मजदूरों को 12000 हजार रुपए देने की घोषणा की है। कांग्रेस की इन पांच गारंटियों का तेलंगाना में काफी चर्चा हो रही है इन गारंटियों की घोषणा हो जाने के बाद मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रही है लेकिन जनता के बीच में बीआरएस के कांग्रेस के विरोध का कोई प्रभाव होता नहीं दिख रहा है इस कहा जा सकता है कि तेलंगाना में कांग्रेस की स्थिति मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान मिज़ोरम सहित पांचों राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मजबूत मानी जा रही है और भाजपा कमजोर समझीं जा रही है।


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