
भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव के बाद नए कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के कार्यभार संभालने के साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापार, शिक्षा और कूटनीति में नए अवसर खुल सकते हैं।
भारत-कनाडा संबंधों में नई शुरुआत का अवसर
New Delhi,(Shah Times) । कनाडा के सत्ताधारी लिबरल पार्टी के नवनिर्वाचित नेता मार्क कार्नी (Mark Carney) जल्द ही प्रधानमंत्री पद संभालने जा रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) के औपचारिक रूप से पद छोड़ने के बाद कार्नी के सामने कड़ी चुनौती है। कनाडा की संसद 24 मार्च को फिर से सत्र शुरू करेगी, जिसमें कार्नी को विश्वास मत का सामना करना पड़ेगा।
फेडरल चुनाव अक्टूबर 2025 में होने वाले हैं, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि कार्नी जल्द ही लोकप्रियता की लहर पर सवार होकर मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर सकते हैं। कार्नी को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के कड़े रुख का भी सामना करना होगा, जिन्होंने कनाडा पर अनुचित शुल्क लगाने, फेंटानाइल ड्रग्स की तस्करी और अवैध प्रवास को बढ़ावा देने के आरोप लगाए हैं। इसके जवाब में कनाडा ने अमेरिका को निर्यात की जाने वाली बिजली पर 25% शुल्क लगाने की चेतावनी दी है।
भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद
मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने से भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की संभावनाएं बढ़ गई हैं। जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव चरम पर पहुंच गए थे। ट्रूडो ने खालिस्तानी कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या के लिए भारतीय एजेंट्स पर आरोप लगाए थे, जिसके कारण भारत ने कनाडाई उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था।
हालांकि, अब नई स्थिति में दोनों देशों के बीच व्यापार, शिक्षा और निवेश जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों के संकेत मिल रहे हैं। भारत ने ओटावा में उच्चायुक्त की बहाली पर विचार किया है, जबकि कनाडा ने अपने खुफिया प्रमुख को दिल्ली में एक सम्मेलन में भेजने का निर्णय लिया है। इससे दोनों देशों के बीच राजनयिक बातचीत के नए द्वार खुल सकते हैं।
मार्क कार्नी के सामने बड़ी चुनौती
मार्क कार्नी पेशेवर रूप से एक अर्थशास्त्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर रहे हैं। उनके पास राजनैतिक अनुभव की कमी है, लेकिन वे ट्रूडो के फैसलों से खुद को अलग रखकर नई नीति अपनाने की कोशिश कर सकते हैं। कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की मौजूदगी भारत के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसे संभालने के लिए दोनों देशों को आपसी सम्मान और कूटनीति का सहारा लेना होगा।
नई शुरुआत की उम्मीद
मार्क कार्नी और विपक्ष के नेता पियरे पोइलिव्रे (Pierre Poilievre) दोनों ही भारत के साथ संबंध सुधारने के पक्षधर रहे हैं। ऐसे में भारत और कनाडा के बीच शिक्षा, निवेश और व्यापार के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खुल सकते हैं। भारत के लिए यह एक उपयुक्त समय है कि वह अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को प्राथमिकता देते हुए कूटनीति के माध्यम से संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करे।
“India-Canada Relations: A New Beginning Under Mark Carney’s Leadership”