
दुनिया के सबसे शक्तिशाली सौर तूफान की करें तो यह 1859 में धरती से टकराया था। इसका नाम कैरिंगटन इवेंट था।
~Neelam Saini
दुनिया का सबसे शक्तिशाली सौर तूफान 20 सालों बाद धरती से टकराया। तूफान के कारण तस्मानिया से लेकर ब्रिटेन तक आसमान में तेज बिजली कड़की तो वहीं कई सैटेलाइट्स और पावर ग्रिडस को भी नुकसान पहुंचा। सोलर तूफान के कारण दुनिया की कई जगहों पर ध्रुवीय ज्योति (ऑरोरा) की घटनाएं भी देखने को मिलीं। इस दौरान सौर तुफान की वजह से आसमान अलग-अलग रंगों को दिखाई दिया।
अमेरिकी वैज्ञानिक संस्था ‘नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ के मुताबिक इस सौर तूफान का असर सप्ताह के अंत तक रहेगा। इसे मुख्य तौर पर दुनिया के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में देखा जा सकेगा। लेकिन अगर यह तेज होता है तो इसे और भी कई जगहों पर देखने का अनुमान लगाया जा रहा है। दुनिया भर में सैटेलाइट ऑपरेटर्स, एयरलाइंस और पावर ग्रिड अलर्ट पर हैं। सौर तूफान आने का कारण सूर्य से निकलने वाला कोरोनल मास इजेक्शन है। दरअसल कोरोनल मास इजेक्शन के दौरान सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स धरती की मैग्नेटिक फील्ड में एंट्री करते हैं। पार्टिकल्स के धरती पर एंट्री करने के बाद एक रिएक्शन होता है , जिसके कारण पार्टिकल्स चमकदार रंग- बिरंगी रोशनी के रूप में दिखते हैं।
आसान शब्दों में कहे तो कोरोनल मास इजेक्शन यानि सूर्य की सतह से प्लाज्मा और मैग्नेटिक फील्ड का निकलना। यह सौर तूफान अक्टूबर 2003 के बाद आए “हैलोवीन तूफान” के बाद दूसरा बड़ा तूफान है। हैलोवीन तूफान के कारण स्वीडन में ब्लैकआउट हुआ था। तूफान के कारण दक्षिण अफ्रीका में ग्रिड ठप पड़ गए थे।अब वैज्ञानिकों ने इस सौर तूफान को लेकर भी कहा है कि आने वाले दिनों में और भी CME पार्टिकल्स की धरती में एंट्री हो सकती है।
अगर बात दुनिया के सबसे शक्तिशाली सौर तूफान की करें तो यह 1859 में धरती से टकराया था। इसका नाम कैरिंगटन इवेंट था। इस तूफान के कारण टेलीग्राफ लाइनें पूरी खराब हो गई थी। कई टेलीग्राफ लाइन्स में आग भी लग गई थी।