
Indo Pak War Shah Times
75 साल बाद भी सरकार नहीं दिला पा रही सैनिक के परिवार को कब्जा ,परिजनो मे छलक रहा माननीय के प्रति रोष
टनकपुर/आबिद सिद्दीकी,(Shah Times)। अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति द्वारा वीर चक्र से नवाजे गए वीर चक्र विजेता सैनिक स्वर्गीय चंद्री चंद को दान में दी गई जमीन पर सरकार आज तक भी कब्जा नहीं दिला पाई है। हालांकि इनाम में मिली भूमि के लिए सैनिक के परिजन अब तक कई बार गुहार लगा चुके हैं। लेकिन वीर चक्र विजेता की मौत के बाद भी परिजनों की लड़ाई किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।जिसके चलते सैनिक के परिजनों में माननीयो के प्रति खासा रोष है
जानकारी के मुताबिक टनकपुर के आमबाग निवासी सूबेदार चंद्री चंद ने आजादी के फौरन बाद 1948 में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर से किए गए हमले में जबर्दस्त बहादुरी दिखाई थी। अदम्य साहस के लिए पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें 1950 में उन्हें वीर चक्र से नवाजा था। 1978 में उप्र सरकार ने छह अन्य पूर्व फौजियों के साथ चंद्री चंद को खटीमा तहसील के बिल्हेरी गांव में 20 बीघा जमीन पुरस्कार में दी थी। पट्टे के साथ ही भूमि के खाता खतौनी भी दिए गए, मगर दान में दी गई जमीन आज तक उनके परिजनों को नहीं मिल सकी है। नवंबर 2007 में आखिरी सांस लेने से पूर्व तक वे जिंदगीभर इनाम की जमीन के लिए सरकारों से लड़ते रहे।
वीर चक्र विजेता चंद्री चंद के बेटे किशन चंद बताते हैं कि जमीन न मिलने की वजह शासन द्वारा आवंटित जमीन पर पहले से ही लोगों का कब्जा होना था। जिसे प्रशासनिक अमला कभी छुड़ा नहीं सका। इस जमीन को हासिल करने के लिए उन्होंने प्रशासनिक अफसरों से लेकर राष्ट्रपति तक से फरियाद की, पर जमीन नहीं मिली। युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाला योद्धा अपनों से नहीं जीत सका। बहादुर कारनामे के लिए सरकार द्वारा दान दी गई जमीन को हासिल करने में यह जांबाज सैनिक और उनके परिजन हार गए हैं।
वीर चक्र विजेता श्री चंद के परिवार में दो बेटे हैं छोटा बेटा फौज में सेवा कर रहा है, तो दूसरा बेटा किशन कृषि कार्यकर अपनी आजीविका चला रहा है।