
“राष्ट्रीय और राज्य पुरुष आयोग” का गठन करने का अनुरोध
मैन वेलफेयर ट्रस्ट ने पुरुष आत्महत्या पर जाहिर की चिंतापुरुषों उत्पीड़न के मामलों में सहायता करती है संस्था
देहरादून (Mo. Faheem ‘Tanha’) । पुरुष कल्याण ट्रस्ट(Men Welfare Trust) ने देश में पुरुषों द्वारा आत्महत्या और उत्पीड़न के मामलों को लेकर चिंता जाहिर की है। उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारियों ने इस मामले में एनसीआरबी के आंकड़े रखते हुए हालात पर अपनी बात कही। उन्होने कहा कि नई दिल्ली में पंजीकृत गैर सरकारी संगठन, मैन वेलफेयर ट्रस्ट, उन पुरुषों के हितों की सुरक्षा के लिए काम करते हैं जिन्हें लिंग आधारित पक्षपात पूर्ण कानूनों के दुरुपयोग के कारण झूठे मामलों में फंसाया गयाहै।
उन्होने बताया कि ट्रस्ट वैवाहिक बलात्कार जैसे मुद्दों पर कई हस्तक्षेप याचिकाओं में शामिल रहा है। ट्रस्ट के वितेश अग्रवाल, प्रमोद रावत एवं विनीत बहुगुणा अपनी बात कहते हुए बताया कि ये ट्रस्ट एक गैर-सरकारी संगठन है, जो भारत के ऐसे पुरुषों (और उनके परिवारों) की मदद करता है , जिनको झूठे 498-ए, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और अन्य समान प्राकृति के मामलो में फंसा दिया जाता है।
जानकारी दी कि ट्रस्ट ने झूठे केस के कारण संकट में पड़े लाखों पुरुषों और परिवारों को समर्थन प्रदान किया है। पुरुषों के ऊपर झूठे केस महिलाओं द्वारा असफल रिश्ते को भुनाने, बदनाम करने, पुरुषों को शर्मसार करने और व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए दायर किए जाते हैं। ट्रस्ट के सदस्य भी सक्रिय रूप से, पुरुषों के अधिकारों के मुद्दों पर अनुसंधान, प्रलेखन और प्रकाशन जैसी अन्य गतिविधियों में संलग्न है, और नियमित रूप से भारत के प्रमुख राष्ट्रीय समाचार चैनलों पर दिखाई देते हैं।
पुरुषों-पतियों की आत्महत्या दर
मैन वेलफेयर ट्रस्ट देश में पुरुषों के द्वारा परेशान होकर आत्महत्या की दर को देखते हुए सरकार से “राष्ट्रीय और राज्य पुरुष आयोग”का गठन करने का अनुरोध करते हैं।राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की । वर्ष 2021 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पुरुष आत्महत्या 1,18,979 पर थीं, जो महिलाओं की 45,026 आत्महत्याओं की तुलना में दोगुनी से भी ज्यादा हैं।
भारत ने 2021 में 1,18,979 बेटों को खो दिया
ट्रस्ट ने 1967 से एनसीआरबी केअनुसारआत्महत्या के आंकड़ों का ग्राफ तैयार किया है। यह आंकड़े हमें आईना दिखाते हैं कि कैसे नारीवादी माहोल का दबाव पुरुषो के खिलाफ देशभर में बना है। पुरुष आत्महत्या सूचकांक यानी भारत में पुरुष आत्महत्या बनाम महिला आत्म हत्याओं का अनुपात के अनुसार 1967 से अबतक यह ग्राफ 1.4 से बढ़कर वर्तमान में 2.64 पर है। इसका अर्थ यह है कि भारत में आत्महत्या करने वाली प्रत्येक 100 महिलाओं के सापेक्ष 264 पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं। पिछले 20 वर्षों (21वीं सदी) से यह बहुत अधिक आश्चर्यजनक है। अर्थात् 2000 में 1.55 से 2021 में 2.64 भारत ने पिछले साल आत्महत्या की वजह से 1,18,979 बेटों को खो दिया। और 2018 में 2.17, 2019 में 2.35 से बढ़कर 2021 में 2.64 हो गयां है।
“इसका मतलब यह है कि भारत हर 4.41 मिनट में एक बेटे को आत्महत्या कि वजह से खो देता है या 12 से ज्यादा बेटे हर घंटे आत्महत्या करने के लिए मजबूर होते हैं, जबकि हर घंटे लगभग 5 महिला आत्महत्याएं करती हैं। इसका अर्थ है कि जबतक यह विवरण 10-15 मिनट में पढ़ी और समझी जाती है, तबतक भारत में 3-4 पुरुष ने आत्महत्या कर ली होगी”
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