
जो हालात मौजूदा समय में अमेरिका और युक्रेन के मध्य हुए हैं और जो घटनाक्रम 1 मार्च को हुआ है इससे कहीं ना कहीं यूरोप की राजनीति में बड़ी उथल-पुथल होने की संभावना बढ़ गई है।
नई दिल्ली (Shah Times): जो हालात मौजूदा समय में अमेरिका और युक्रेन के मध्य हुए हैं और जो घटनाक्रम 1 मार्च को हुआ है इससे कहीं ना कहीं यूरोप की राजनीति में बड़ी उथल-पुथल होने की संभावना बढ़ गई है। राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात विवादों में है। ऐसे में अमेरिका के खिलाफ जिस तरह से युरोपीय देश खड़े होने लगे हैं कहीं ना कहीं बड़े विश्व राजनीतिक घटनाक्रम की और इशारा करता है।
यूरोप के पास हैं कई विकल्प
यूरोप के पास कई ऐसे विकल्प हैं जो महत्वपूर्ण हो सकते हैं। अगर ऐसे में युक्रेन की अमेरिका मदद नहीं करता है तो क्या यूरोप अपनी सेना भेज सकता है? अधिकारियों का मानना है कि रूस को रोकने के लिए नाटो के 1 से 2 लाख सैनिकों की जरूरत पड़ सकती है।
एयर डिफेंस सिस्टम आ सकते हैं काम
अगर हम अमेरिका के मुकाबले युरोपीय देशों की ताकत की बात करें तो यूरोप के पास अमेरिका जैसी उन्नत मिसाइलें, एयर डिफेंस सिस्टम और जासूसी की तकनीक नहीं हैं। लेकिन यूरोप के नेता यूक्रेन के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं। वॉशिंगटन में हुये इस घटनाक्रम के बाद यूरोप फिर से जेलेंस्की को समर्थन देने के बयान जारी कर दिया है।
स्ट्रैटजिक स्टडीज की रिपोर्ट
अगर हम इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्ट्रैटजिक स्टडीज की रिपोर्ट की बात करें तो रूस ने अपना रक्षा बजट में 41 फीसदी की बढ़ोतरी की है। अब यह रूस की जीडीपी का 6.7 फीसदी है। अगर अन्य तथ्यों की बात करें तो ब्रिटेन ने 2027 तक इसे केवल 2.5 फीसदी करने का वादा किया है।
यूरोपीय देशों के सामने है बड़ी चुनौती
ट्रंप और जेलेंस्की के इस घटनाक्रम के बाद से ही यूरोपीय देशों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। अगर अमेरिका पीछे हटता है, तो क्या वे रूस को रोक सकते पाएंगे? जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश यूक्रेन को मदद का भरोसा दे रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि उनकी सैन्य ताकत अभी भी रूस के मुकाबले काफी कम है।
जर्मनी और नॉर्वे के प्रधानमंत्री की प्रक्रिया
जर्मनी के नेता योहान वेडेफुल ने ट्रंप के रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा, “व्हाइट हाउस में जो हुआ वह चौंकाने वाला है। एक आक्रमण झेल रहे देश के राष्ट्रपति को इस तरह अपमानित करना ठीक नहीं। आजाद यूरोप यूक्रेन को धोखा नहीं देगा।” नॉर्वे के प्रधानमंत्री योनास स्टोरे ने ट्रंप की टिप्पणी को “गैरजिम्मेदाराना” बताया। चेक गणराज्य के राष्ट्रपति पेत्र पावेल ने कहा, “हम यूक्रेन के साथ पहले से भी ज्यादा मजबूती से खड़े हैं। यूरोप को अब अपनी भूमिका निभानी होगी।”