प्रत्यारोपण का इंतज़ार कर रहे मरीज़ों और अंगों की उपलब्धता के बीच एक बड़ा अंतर
नई दिल्ली l ब्रेन डेथ के बाद 58 वर्षीय सुरेश जी के परिवार ने मंगलवार, 29 अगस्त, 2023 को उनका लिवर, किडनी और कॉर्निया दान करने का साहसिक निर्णय लिया। सुरेश जी 26 अगस्त को ऑफिस में काम करते हुए अचानक बेहोश हो गये थे। उनके सहकर्मियों ने उनकी नब्ज देखी, जो चलना बंद हो चुकी थी। एक सहकर्मी ने उन्हें सीपीआर दिया, और उन्हें तुरंत हॉस्पिटल में लाया गया। उन्हें एचसीएमसीटी हॉस्पिटल, द्वारका में इमरजेंसी में भर्ती किया गया,
और सीपीआर जारी रखा गया। इससे मरीज की हालत में सुधार तो हुआ, पर उन्हें होश नहीं आया। इसके बाद उनका सीटी स्कैन किया गया, जिसमें उन्हें काफ़ी बड़ा ब्रेन हैमरेज सामने आया। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई और 28 अगस्त को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांस्प्लांट ऑर्गेनाइज़ेशन (एनओटीटीओ) ने तुरंत प्रतीक्षा सूची के अनुसार अंगों का आवंटन कर दिया। उनकी एक किडनी मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका में एक 29 वर्षीय पुरुष मरीज को दी गई, और दूसरी एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, फरीदाबाद में एक 60 वर्षीय मरीज को दी गई। उनका लिवर मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली में एक 59 वर्षीय मरीज को दिया गया। इसके लिए दिल्ली पुलिस ने 29 अगस्त को सुबह 8:06 बजे एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका से मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली तक एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया। उनकी दोनों कॉर्निया आई बैंक को पहुँचा दी गयीं।
एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका में हेड ऑफ़ न्यूरोसर्जरी, डॉ. अनुराग सक्सेना ने कहा, “ उनकी हालत स्थिर होने के बाद तुरंत सीटी स्कैन किया गया, जिससे पता चला कि उन्हें बड़े पैमाने पर ब्रेन हेमरेज हुआ है, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। । न्यूरोसर्जरी और क्रिटिकल केयर टीमों की देखरेख में गहन इलाज के बाद भी वो ठीक नहीं हो पाये और 28 अगस्त 2023 को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।”
डॉ. (कर्नल) अवनीश सेठ वीएसएम हेड, मणिपाल ऑर्गन शेयरिंग एंड ट्रांसप्लांट (एमओएसटी) ने कहा, “हमारी टीम ने मरीज के परिवार को आवश्यक जानकारी और पूरा सहयोग दिया, ताकि वो विश्वास के साथ निर्णय ले सकें। उनका परिवार उनके सभी अंग दान करना चाहता था। लेकिन उनके फेफड़े और हृदय प्रत्यारोपण के लिए अनुपयुक्त थे, इसलिए उन्हें नहीं निकाला गया। हमारी हॉस्पिटल की टीम ने उनके लिवर और किडनी निकालकर उन्हें प्रत्यारोपण के लिए भेज दिया। इस परिवार ने गंभीर रूप से बीमार तीन मरीजों की जान बचा ली, और दो लोगों को दृष्टि का उपहार दिया।”
एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल, द्वारका की डायरेक्टर, मिस विजी वर्गीस ने कहा, “इस परिवार द्वारा अंगदान करने का निर्णय लिये जाने से दूसरों के जीवन में बदलाव आ सका। इस डोनर की विरासत उसके द्वारा बचाये गए लोगों के साथ जीवित रहेगी। अंगदान करना जीवन का एक उपहार देना है। यह किसी और को जीने का दूसरा मौक़ा देता है। हम सभी लोगों को अंगदाता के रूप में पंजीकरण कराने और अंगदान करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। साथ मिलकर हम लोगों की जिंदगियां बचा सकते हैं।”
भारत में अंग प्रत्यारोपण के ज़रूरतमंद लोगों और उपलब्ध अंगों के बीच एक बड़ा अंतर है। हर साल 1.8 लाख लोगों की किडनी फेल हो जाती है, जबकि प्रत्यारोपण केवल 10,000 किडनी का हो पाता है। एक अनुमान से भारत में हर साल 25,000 से 30,000 लिवर के प्रत्यारोपण की ज़रूरत होती है, लेकिन प्रत्यारोपण केवल पंद्रह सौ लिवर का ही हो पाता है। इसी प्रकार, हार्ट फेल का शिकार हज़ारों लोगों में से केवल 200 लोगों का ही हृदय प्रत्यारोपण हो पाता है। इसके अलावा, हर साल 1 लाख कॉर्निया प्रत्यारोपण की ज़रूरत के बाद भी केवल 25,000 कॉर्निया का प्रत्यारोपण हो पाता है।
अंगदान के नेक कार्य से भारत में अंगदान की भारी ज़रूरत प्रदर्शित होती है, क्योंकि प्रत्यारोपण का इंतज़ार कर रहे मरीज़ों और अंगों की उपलब्धता के बीच एक बड़ा अंतर है। अंगदान की जागरूकता बढ़ाकर और इसमें शामिल होकर यह कमी पूरी की जा सकती है, एवं अनेकों जरूरतमंद लोगों को जीवन की उम्मीद मिल सकती है।