
Apple is rapidly boosting iPhone production in India, with $22 billion worth of devices expected by 2025. A major shift from China, aided by semiconductors and India's PLI scheme
Apple भारत में iPhone निर्माण को तेजी से बढ़ा रहा है। 2025 तक 1.90 लाख करोड़ के iPhone यहीं बनेंगे। चीन की बादशाहत को टक्कर, सेमीकंडक्टर और PLI स्कीम बनीं मददगार।
नई दिल्ली (शाह टाइम्स) दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में शुमार Apple अब भारत में आईफोन निर्माण को लेकर आक्रामक रणनीति अपना रही है। 2025 तक भारत में 1.90 लाख करोड़ रुपये (करीब 22 बिलियन डॉलर) मूल्य के iPhones बनाए जाने का अनुमान है। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 60% अधिक है। यह बदलाव सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन और रणनीतिक शक्ति संतुलन का संकेत भी है।
चीन की बादशाहत को चुनौती
अब तक iPhone निर्माण में चीन का दबदबा था, लेकिन हालात तेजी से बदल रहे हैं। चीन पर निर्भरता कम करने और सप्लाई चेन में विविधता लाने की नीति के तहत Apple भारत को नया मैन्युफैक्चरिंग हब बना रहा है। इसका सीधा असर चीन की तकनीकी और आर्थिक पकड़ पर पड़ा है।
हर पांचवां iPhone अब भारत में
Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, अब हर पांच iPhones में से एक भारत में बनाया जा रहा है। दक्षिण भारत की Foxconn फैक्ट्री, Tata Group के अधिग्रहित Wistron और Pegatron यूनिट्स इस प्रोडक्शन का बड़ा हिस्सा संभाल रहे हैं।
PLI स्कीम और सस्ती लेबर बनीं मददगार
भारत सरकार की Production Linked Incentive (PLI) स्कीम और सस्ती एवं कुशल श्रमशक्ति ने Apple को भारत में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। इसके तहत कंपनियों को उत्पादन के आधार पर प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
सेमीकंडक्टर: भविष्य का ईंधन
iPhone जैसे हाईटेक डिवाइस के लिए जरूरी सेमीकंडक्टर चिप्स अब भारत में भी बनने की तैयारी में हैं। Apple, भारत सरकार के साथ मिलकर सेमीकंडक्टर निर्माण इकाइयां स्थापित करने पर काम कर रहा है। इसे लेकर अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा चल रही है।
2026 तक Apple का 26% उत्पादन भारत में
इंडस्ट्री विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 तक Apple अपनी वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग का 26% हिस्सा भारत में शिफ्ट कर देगा। इससे भारत को न केवल आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता भी हासिल होगी।
ट्रंप के टैक्स ने भारत को दिलाई रफ्तार
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ नीति के तहत चीन से आने वाले सामानों पर भारी टैक्स लगाया गया। इसके बाद Apple ने भारत से अमेरिका में iPhone निर्यात को तेज़ किया। भारत में बने डिवाइसों पर अमेरिका कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगाता, जिससे भारत Apple के लिए अधिक अनुकूल बन गया।
क्या भारत चीन का विकल्प बन सकता है?
हालांकि, Apple अभी भी चीन के लगभग 200 से अधिक सप्लायर्स और मजबूत उत्पादन सिस्टम पर निर्भर है। लेकिन भारत में तेजी से बनते माहौल, सरकार की नीतियों और निजी निवेशकों के सहयोग से भारत एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर रहा है।
सिर्फ 8% मार्केट शेयर, लेकिन अपार संभावनाएं
वर्तमान में भारत में Apple का स्मार्टफोन मार्केट में सिर्फ 8% हिस्सेदारी है, लेकिन कंपनी भारत को अब केवल बाजार नहीं, बल्कि ग्लोबल निर्माण केंद्र के रूप में देख रही है। पिछले साल भारत में Apple की बिक्री लगभग $8 बिलियन रही।
10 लाख नौकरियों की उम्मीद
NLB सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री से 2026 तक 10 लाख नई नौकरियों के अवसर पैदा हो सकते हैं। इसमें चिप निर्माण, डिजाइन, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और सप्लाई चेन से जुड़े क्षेत्र शामिल होंगे।
रोज़गार और वैश्विक छवि को देगा नया मुकाम
Apple की भारत में बढ़ती मौजूदगी केवल तकनीक या व्यवसाय तक सीमित नहीं है, यह एक भू-राजनीतिक और आर्थिक बदलाव का संकेत है। भारत अब न केवल iPhones बना रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर टेक मैन्युफैक्चरिंग का नया केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। आने वाले वर्षों में यह बदलाव भारत की अर्थव्यवस्था, रोज़गार और वैश्विक छवि को एक नया मुकाम दे सकता है।