
अब ना आएंगे वो दिन जिनका इंतज़ार है
तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दगान ने बड़ा ही अजीब सा एक बयान दिया है। अर्दगान का कहना है कि रमज़ान आ पहुंचा,और दुनिया के 2 अरब, मुसलमान गाज़ा के मुसलमानों की मदद ना कर सके। अफसोस का मुकाम है।
ज्ञात रहे यह वही अर्दगान हैं जिसमें मेरे सहित मुस्लिम उम्मा ने खलीफा की झलक देखी थी। मगर आज अर्दगान साहब का यह बयान सुनकर बेहद ही अफसोस हुआ बल्कि मायूसी कहूं तो गलत ना होगा।
शायद मुस्लिम जगत के आज यह सोचने का वक्त है कि आखिर ऐसा क्या है। एक कमजोर बैसाखियों पर चलने वाले इजरायल के सामने तमाम मुस्लिम देश लाचार मजबूर और हताश क्यों दिखाई देते हैं ?
गौर ए तलब यह है कि, हमास जैसे एक छोटे से संगठन के सामने भी इसराइल के अपने हथियार कुछ काम ना आ सके। इजराइल ब्रिटेन और अमेरिका के हथियारों के सहारे मात्र तीस हज़ार हमास के लड़ाकों के साथ 6 महीने से ज्यादा तक अपनी पूरी कोशिशें के बावजूद जीत हासिल ना कर सका।जबकि हमास के लड़ाकों ने इसराइल के तथाकथित जादुई हथियारों को टीन के डब्बे में बदल दिया।
गौर इस बात पर भी होनी चाहिए, कि जब हिज्बुल्लाह इजराइल पर हमले करता है तो इजरायल के एयर डिफेंस सिस्टम और फौज उन हमलों को पूरी तरह नहीं रोक पाती और 50℅ कामयाब हमलों से इजराइल को नुकसान पहुंचाते हैं। मगर सिर्फ एक लिमिट तक ही हमले करते हैं, उससे आगे हिज्बुल्लाह भी नही बढ़ता।यमन के अंसार उल्लाह (होती) ने लाल सागर में ब्रिटेन और अमेरिका के जहाज को सीधा निशाना बनाकर भारी नुकसान पहुंचाया और यहां तक के पूरे ट्रैफिक को ब्लॉक कर दिया, अमेरिका ब्रिटेन इजराइल सब लाचार नजर आए और कुछ ना कर सके।
जबकि पश्चिम के सभी देश खुलेआम इसराइल को अपने हथियार देते हैं मदद करते हैं पैसे देते हैं और हमले करने की इजाजत देते हैं। जैसे कि अमेरिका गुट वाले पश्चिमी देश यूक्रेन में भी खुलेआम तमाम अपने हथियार देते हैं, और मदद देते हैं और पैसे देते हैं, और फौजी भी भेजते हैं। उन्हे कोई खौफ या गिल्ट नही। वहीं दूसरी और नजर डालें तो यूक्रेन के खिलाफ रूस को कोई देश खुलकर हथियार नही दे रहा है। जिसमे नॉर्थ कोरिया चीन या ईरान भी शामिल हैं मगर चोरी छुपे हथियार देने के सिर्फ दावे किए जाते हैं।
जबकि यह सभी देश पश्चिम की पाबंदियां झेल रहे हैं और सभी पाबंदी वाले देश एक दूसरे को अगर खुलेआम भी मदद करें तो पाबन्दी से ज़्यादा क्या फर्क पड़ेगा ? फिर क्या मजबूरी है कि यह सभी देश हथियार देतें भी हैं तो ऐलान नहीं करते। ? मगर पश्चिमी गुट सब कुछ ऐलान के साथ कर रहे है। ठीक वैसे ही हमास को एयर डिफेंस सिस्टम और कोई भी बड़ा हथियार रूस सहित ईरान चीन या नॉर्थ कोरिया क्यों नहीं देते, जबकि इसराइल के फौजी गाजा युद्ध से भागते हैं। हमास की छोटी-छोटी मिसाइल से भी भयभीत हैं। अगर गाजा को एयर डिफेंस सिस्टम दे दिए होते तो यकीनन हमास मरकवा टैंकों को बर्बाद कर कबाड़ में बदलने वाला संगठन , अमेरिका और इजरायल के जहाज को टीन के डब्बे में तब्दील कर देता।जबकि ईरान के ड्रोन एयर डिफेंस मिसाइल होती और युक्रेन में खुद को साबित कर चुका है, तुर्की का TB 2 मस्क्वा डुबो चुका है।
यानी यह सब हथियार होने के बावजूद तुर्क राष्ट्रपति अर्दगान का बयान चौकाने वाला है।अब हमें असल मुद्दे पर आना चाहिए यानी इस युद्ध में साबित है कि इजरायल की कोई औकात ही नहीं अगर मुस्लिम जगत का एक भी देश इसराइल पर हमला कर दे तो इजरायल 72 घंटे से ज्यादा टिक नहीं पाएगा फिर ऐसी क्या मजबूरी है कि यह सभी देश छोटी-मोटी मदद करने के सिवा कुछ भी नहीं करते। तमाम प्रकरण पर नजर डालने के बाद एक ही सूत्र हाथ में आता है, कि दुनिया के उद्योग जगत के साथ हथियार उद्योग तक पर अपना कंट्रोल रखने वाले चंद यहूदी परिवार इन सभी देशों के स्टेट एक्टर्स (देशों को चलाने वाले अधिकारी या मशीनरी) को बहुत पहले खरीद चुके होते हैं, और इन सभी ने कुछ ऐसे समझौते उन लोगों के साथ किए हैं जिसे सत्ता चलाने वाले हाथ छोड़ नहीं पाते और शायद इसीलिए मुस्लिम जगत खुद को आपस में जोड़ नहीं पाते।
इस पूरे लेख का लब्बो लबाब यह है कि मुस्लिम दुनिया के इस्लाम प्रचारकों में से ज्यादातर सभी मुसलमान को यह सीख देते आए हैं कि दुनिया के किसी भी कोने में मुसलमान हो, सब एक है जबकि एक बार फिर साबित है कि सिर्फ ख्याली तौर पर एक हैं। वरना सब के अपने-अपने इंटरेस्ट और मफादात हैं,वह इसके बाहर नहीं जा सकते। अर्थात ऐसे प्रचारकों को चाहिए कि कोई एक ऐसी लाइन लोगों को दे जिसमें यह साफ हो जाए की हर देश की सत्ता निजाम बिल्कुल अलग होता है,और आम मुसलमान बिना सत्ता,बिना निजाम के सब एक होते हैं।अगर इस लाइन पर सोचना शुरु करेंगे तो फिर एक झूठी उम्मीद से बाहर निकल जाएंगे और इन्हें पता होगा कि इन्हें अगर आगे बढ़ाना है तो इन्हें किसके भरोसे पर आगे बढ़ाना है और किन चीजों का ख्याल रखना है और इन सब की भलाई किस बात में है। आगे जरुर प्रोग्राम में बताऊंगा के असल में होने वाला क्या है।
~ लेख जारी है.….

वाहिद नसीम
(लेखक अपनी बेबाकी और निडरता के लिए जाने जाते है एवं अंतरराष्ट्रीय मामलों पर महारथ रखते है यही इनकी पहचान है)