
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के दरमियान मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है।
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के दरमियान हिंसा के कारण मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। पढ़ें पूरी खबर।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू: जातीय हिंसा के दरमियान मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का इस्तीफा
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा और बिगड़ती कानून-व्यवस्था के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। राज्य में कई दिनों से हिंसा की घटनाएं सामने आ रही थीं, जिनमें जान-माल की हानि हुई है।
रविवार को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शीर्ष नेताओं के बीच मणिपुर के नए मुख्यमंत्री को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया था। बीजेपी के मणिपुर प्रभारी संबित पात्रा ने इस संबंध में वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा की थी। हालांकि, मौजूदा हालात को देखते हुए अब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है।
मणिपुर में क्यों बिगड़े हालात?
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष लंबे समय से जारी है। दोनों समुदायों के बीच भूमि, राजनीतिक अधिकार और आरक्षण से जुड़ी मांगों को लेकर टकराव बढ़ गया था। पिछले कुछ महीनों से हिंसा की घटनाएं तेज हो गई थीं, जिससे राज्य की स्थिति अस्थिर होती जा रही थी।
बीजेपी के लिए नया संकट
बीरेन सिंह के इस्तीफे और राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद मणिपुर की राजनीतिक स्थिति असमंजस में है। बीजेपी को अब एक नया मुख्यमंत्री नियुक्त करना होगा, जो राज्य में शांति और स्थिरता बहाल कर सके। पार्टी के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि जातीय हिंसा की आग अब भी ठंडी नहीं हुई है।
मणिपुर में लगातार जारी जातीय हिंसा और बिगड़ती कानून-व्यवस्था के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। राज्य में पिछले कुछ महीनों से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही थी।
हालात को नियंत्रित करने में नाकाम रहने के बाद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद बीजेपी नेतृत्व के बीच नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर मंथन शुरू हुआ, लेकिन राज्य में शांति बहाल करने की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया गया।
मणिपुर में क्यों बिगड़े हालात?
मणिपुर में हिंसा की जड़ें गहरी हैं, जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारणों से जुड़ी हुई हैं। राज्य में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है।
जातीय संघर्ष: मैतेई समुदाय, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग 53% है, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा पाने की मांग कर रहा है। कुकी और नागा समुदाय इसका विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इससे उनके आरक्षण और भूमि अधिकारों पर असर पड़ सकता है।
भूमि विवाद: मैतेई समुदाय मैदानी इलाकों में बसा हुआ है, जबकि कुकी और नागा समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। जमीन के स्वामित्व और अधिकारों को लेकर विवाद लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
अलगाववादी आंदोलन: राज्य में कुछ उग्रवादी गुट भी सक्रिय हैं, जो अलग-अलग समुदायों का समर्थन कर रहे हैं और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं।
राजनीतिक अस्थिरता: मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार पर आरोप था कि वह सिर्फ एक समुदाय के हित में काम कर रही थी, जिससे राज्य में असंतोष बढ़ता गया।
कैसे बढ़ी हिंसा?
मई 2023 से ही राज्य में सांप्रदायिक झड़पें शुरू हो गई थीं, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई और हजारों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी।
कई इलाकों में कर्फ्यू और इंटरनेट बैन लगाया गया, लेकिन फिर भी हिंसा पूरी तरह से नहीं रुकी।
कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हमले और आगजनी की घटनाएं बढ़ती गईं, जिससे राज्य की कानून-व्यवस्था चरमरा गई।
केंद्र सरकार ने हालात को नियंत्रित करने के लिए अर्धसैनिक बलों और सेना की तैनाती की, लेकिन हिंसा जारी रही।
बीजेपी के लिए बड़ा संकट
बीरेन सिंह के इस्तीफे और राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद मणिपुर की राजनीतिक स्थिति बेहद संवेदनशील हो गई है।
बीजेपी के लिए यह बड़ा झटका है, क्योंकि बीरेन सिंह पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने 2017 से राज्य की सत्ता संभाली थी।
अब पार्टी को एक नया मुख्यमंत्री नियुक्त करना होगा, जो राज्य में शांति और स्थिरता बहाल कर सके।
बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती दोनों समुदायों को संतुलित तरीके से संभालना होगी, ताकि आगे हिंसा न बढ़े।
राष्ट्रपति शासन के बाद क्या बदलेगा?
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य की पूरी सत्ता केंद्र सरकार के हाथों में आ गई है।
राज्य सरकार भंग कर दी गई है, और अब गवर्नर के जरिए केंद्र सरकार प्रशासन चलाएगी।
कानून-व्यवस्था को बहाल करने के लिए और अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती की जा सकती है।
केंद्र सरकार अब सीधे हस्तक्षेप कर सकती है और हिंसा रोकने के लिए कड़े फैसले ले सकती है।
मणिपुर में नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर बीजेपी की बैठकों का दौर जारी रहेगा, लेकिन जब तक हालात सामान्य नहीं होते, तब तक राष्ट्रपति शासन लागू रहेगा।
आगे क्या होगा?
मणिपुर में जारी संकट पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं।
क्या केंद्र सरकार दोनों समुदायों के बीच शांति बहाल कर पाएगी?
क्या बीजेपी मणिपुर में राजनीतिक स्थिरता वापस ला सकेगी?
क्या नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति से स्थिति में सुधार होगा या हिंसा और भड़क सकती है?
ये सभी सवाल फिलहाल अनुत्तरित हैं। राज्य में स्थिति कब तक सामान्य होगी, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। तब तक मणिपुर संघर्ष, अनिश्चितता और उम्मीदों के बीच फंसा हुआ है।
Ethnic Clashes in Manipur Lead to President’s Rule, CM Steps Down