
Vijender Singh’s Tweet on Vaibhav Suryavanshi Fuels Age Fraud Debate in Cricket Shah Times
क्या क्रिकेट में भी शुरू हो गया एज फ्रॉड का खेल?
वैभव सूर्यवंशी के रिकॉर्ड शतक के बाद उनकी उम्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह के ट्वीट ने इस विवाद को और हवा दी है। पढ़िए संपादकीय विश्लेषण।
भारतीय क्रिकेट में जब भी कोई युवा सितारा उभरता है, तो उसके साथ अपेक्षाएं ही नहीं, संदेह भी जुड़ जाते हैं। राजस्थान रॉयल्स के युवा बल्लेबाज़ वैभव सूर्यवंशी ने केवल 14 साल की उम्र में 35 गेंदों पर टी20 शतक जड़कर इतिहास रच दिया। यह कारनामा जितना शानदार था, उतना ही विवादास्पद भी बन गया, क्योंकि इसके तुरंत बाद उनकी उम्र को लेकर सवाल उठने लगे।
इस पूरे विवाद में तब एक नया मोड़ आया जब पूर्व भारतीय मुक्केबाज़ और ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह ने सोशल मीडिया पर कटाक्ष किया। उन्होंने लिखा, “भाई आजकल उम्र छोटी करके क्रिकेट में भी खेलने लगे?”। यह बयान साफ़ तौर पर किसी एक खिलाड़ी को निशाना नहीं बनाता, लेकिन यह वैभव सूर्यवंशी के आसपास बने एज फ्रॉड के आरोपों से जुड़ गया।
यह सवाल लाज़मी है—क्या यह सिर्फ एक सामान्य व्यंग्य था या एक गंभीर संकेत? विजेंदर सिंह, जो खुद खेलों में पारदर्शिता और मेहनत के प्रतीक माने जाते हैं, उनका ऐसा ट्वीट करना इस मामले को हल्का नहीं रहने देता। जब देश के प्रतिष्ठित खिलाड़ी किसी युवा के प्रदर्शन पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाते हैं, तो इसका असर सिर्फ एक खिलाड़ी तक सीमित नहीं रहता—बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर असर डालता है।
हालाँकि वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने स्पष्ट किया कि उनका बोन टेस्ट बीसीसीआई द्वारा प्रमाणित है, जो उम्र की पुष्टि करता है। लेकिन सोशल मीडिया पर बहस थमने का नाम नहीं ले रही। यह मुद्दा सिर्फ वैभव की उम्र का नहीं है—यह खेलों में पारदर्शिता, प्रमाणन प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता, और युवा खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा है।
हमारे देश में एज फ्रॉड का इतिहास कोई नया नहीं है, खासकर अंडर-19 स्तर के टूर्नामेंट्स में। कई बार सही डॉक्युमेंटेशन के बावजूद सवाल उठते हैं क्योंकि लोगों का भरोसा टूट चुका है। ऐसे में जब कोई खिलाड़ी वास्तव में अपनी प्रतिभा से चमत्कार करता है, तो उसे संदेह की दृष्टि से देखना दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस प्रकरण में मीडिया, खिलाड़ियों और प्रशंसकों को संयम और समझदारी से काम लेने की ज़रूरत है। यदि आरोपों में सच्चाई नहीं है, तो वैभव सूर्यवंशी जैसे होनहार खिलाड़ी को समर्थन की आवश्यकता है, न कि सार्वजनिक आरोपों और ट्रोलिंग की। साथ ही, खेल संघों को भी अपनी प्रमाणन प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी खिलाड़ी की उपलब्धि विवाद का कारण न बने।