
"Delhi High Court Judge Justice Yashwant Varma refutes cash recovery claims, calls it a conspiracy. Supreme Court initiates an investigation."
दिल्ली हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने अपने आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के दावों को खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए तीन जजों की समिति बनाई है। पढ़ें पूरी खबर!
नई दिल्ली, (Shah Times)। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने अपने आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के इल्ज़ाम को खारिज किया है। उन्होंने इसे एक साजिश करार देते हुए दावा किया कि यह उन्हें बदनाम करने की कोशिश का हिस्सा है। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय की रिपोर्ट भी सामने आई है, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा के बयान शामिल हैं।
न्यायमूर्ति वर्मा का बयान: “हमने कभी कोई नकदी जमा नहीं की”
न्यायमूर्ति वर्मा ने स्पष्ट किया कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने कभी भी उस स्टोररूम में नकदी जमा की थी, जहां 14 मार्च 2025 की रात आग लगी थी। उन्होंने कहा कि यह पूरी घटना हाल ही में हुई घटनाओं के एक क्रम का हिस्सा है, जिसमें दिसंबर 2024 में सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ प्रसारित निराधार आरोप भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा,
“यह विचार कि नकदी हमारे द्वारा रखी गई थी, पूरी तरह से बेतुका है।”
आग की घटना और नकदी मिलने का दावा
14 मार्च 2025 को रात करीब 11:30 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के नई दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर आग लग गई थी। उस समय वे घर पर मौजूद नहीं थे। आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मियों और पुलिस को एक स्टोररूम में कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिली।
लेकिन न्यायमूर्ति वर्मा ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उनके घर के किसी भी व्यक्ति ने जली हुई मुद्रा देखने की सूचना नहीं दी। उन्होंने यह भी बताया कि जब घटनास्थल दमकल कर्मियों और पुलिस द्वारा उन्हें वापस सौंपा गया, तब वहां कोई नकदी नहीं थी।
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की प्रारंभिक रिपोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय की रिपोर्ट के अनुसार, बंगले में रहने वाले लोगों, नौकरों, माली और सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के स्टोररूम में प्रवेश करने की संभावना नहीं दिखती।
उन्होंने कहा:
“मेरी प्रथम दृष्टया राय है कि पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने बनाई तीन जजों की जांच समिति
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट के आधार पर 22 मार्च 2025 को तीन जजों की एक जांच समिति गठित की गई।
इस समिति में शामिल हैं:
- न्यायमूर्ति शील नागू – पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
- न्यायमूर्ति जी. एस. संधावालिया – हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
- न्यायमूर्ति अनु शिवरामन – कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश
इस समिति को मामले की गहराई से जांच करने और निष्पक्ष रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
न्यायमूर्ति वर्मा को न्यायिक कार्यों से किया गया अलग
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
न्यायमूर्ति वर्मा का करियर और पृष्ठभूमि
- जन्म: 6 जनवरी 1969, इलाहाबाद (अब प्रयागराज)
- शिक्षा:
- बी. कॉम (ऑनर्स) – हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
- एल.एल.बी – रीवा विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश
- करियर:
- 1992 में वकील के रूप में नाम दर्ज
- इलाहाबाद हाईकोर्ट में संवैधानिक, श्रम और औद्योगिक विधानों पर वकालत
- 2006 से विशेष अधिवक्ता
- 2013 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित
- 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त
न्यायमूर्ति वर्मा ने नकदी बरामदगी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे साजिश करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की एक समिति गठित की है। अब सभी की नजरें इस जांच पर टिकी हैं, जिससे स्पष्ट होगा कि यह घटना महज एक संयोग थी या किसी साजिश का हिस्सा।