संक्रमित पानी पीने से हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

मौसम के आने से बहुत सी बीमारियों का आगाज़ हो जाता हैं। ऐसे में हमें अपने स्वास्थ्यका बहुत ध्यान रखना चाहिए।

New Delhi, (Shah Times)। मानसून के आने से एक तरफ लोगों को भीषण गर्मी और पानी की कमी से जूझ रहे लोगों को निजात मिल रही है तो वहीं दूसरी ओर इस मौसम के आने से बहुत सी बीमारियों का आगाज़ हो जाता हैं। ऐसे में हमें अपने स्वास्थ्यका बहुत ध्यान रखना चाहिए।

इसी मौसम के चलते महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में मुगांव तांडा गांव के 107 लोग एक साथ बीमार पड़ गए। इस गांव में करीब 440 लोग रहते हैं, जो पीने के लिए कुएं के पानी का इस्तेमाल करते हैं। दरअसल गांव के लोगों को पेट में दर्द की शिकायत के बाद जब उस गांव के लोगों की जांच की गई तो पता चला कि सबको डायरिया हुआ है। ज्यादातर बीमार लोगों का इलाज गांव में ही हो गया, जबकि 37 लोगों को पड़ोस के गांव के प्राथमिक अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। जांच में पता चला कि बारिश के मौसम में कुएं का पानी संक्रमित हो गया था। संक्रमित पानी ही डायरिया की वजह बना।

WHO के मुताबिक, दुनिया के सभी विकासशील देशों की 80% बीमारियों की वजह वॉटरबोर्न डिजीज हैं। विकासशील देशों में हो रही कुल मौतों का एक तिहाई कारण भी वॉटरबोर्न डिजीज ही हैं। संक्रमित पानी पीने से कॉलरा, डायरिया, टाइफॉयड जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है। लेकिन बारिश के दिनों में यह खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

जब बैक्टीरिया और वायरस जैसे माइक्रोऑर्गेनिज्म पानी के जरिए हमें संक्रमित कर देते हैं तो इससे पैदा हुई बीमारियां वॉटरबोर्न डिजीज कहलाती हैं। यह संक्रमण नहाने, कपड़े धोने, पीने के पानी या खाना पकाने के लिए इस्तेमाल हुए पानी से हो सकता है।

कॉलरा

कॉलरा आमतौर पर बहुत गरीब इलाकों में फैलता है, जहां रिहायशी इलाके में सफाई रख पाना मुश्किल होता है। ड्रेनेज की अच्छी व्यवस्था नहीं होने से बारिश के मौसम में रिहायशी इलाकों में पानी जमा हो जाता है। यह जमा पानी संक्रमित हो जाता है और वहां रह रहे लोगों को प्रभावित करता है। यह दूषित पानी गंभीर डिहाइड्रेशन और दस्त का कारण बनता है। अगर जल्दी ही इसका उपचार न किया जाए तो ये और भी घातक हो सकता है। कॉलरा के प्रमुख लक्षण हैं जैसे:- मतली, उल्टी, दस्त, मांसपेशियों में ऐंठन आदि।

डायरिया

डायरिया एक पाचन तंत्र संबंधी डिसऑर्डर है। डायरिया होने पर व्यक्ति सामान्य से बहुत अधिक बार मल त्याग करने लगता है। यह मेडिकल कंडीशन बहुत कम समय में किसी को शिथिल कर सकती है। आमतौर पर दूषित भोजन और जल के सेवन से यह समस्या पैदा होती है। इससे गंभीर डिहाइड्रेशन का जोखिम रहता है। इसलिए समय पर इलाज कराना आवश्यक है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:- बार-बार टॉयलेट जाना, पेट में ऐंठन, मल त्याग पर नियंत्रण न रहना, जी मिचलाना, पेट में दर्द, डिहाइड्रेशन, बुखार

टाइफाइड

टाइफाइड फीवर भारत जैसे विकासशील देशों में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। दुनियाभर में इससे लगभग 2 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं। यह बीमारी दूषित भोजन और पानी से फैलती है। टाइफाइड फीवर के दौरान तेज बुखार, कमजोरी, पेटदर्द, भूख न लगना आदि।

प्रदूषित पानी पीने से ओर भी बहुत से बीमारियां होती हैं जैसे:- हेपेटाइटिस ए में थकान, मिट्टी के रंग का मल,पीलिया, मतली, उल्टी, पेट में दर्द,भूख न लगना, अचानक बुखार।

जानकारी के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के मुताबिक भारत में हर साल 3.7 करोड़ लोग वॉटरबोर्न डिजीज का शिकार होते हैं। भारत में एक बड़ी आबादी कच्चे मकानों या अस्थायी घरों में रहती है। इन रिहायशी इलाकों में बरसात के दिनों में अकसर पानी जमा हो जाता है। इस पानी के जरिए खाने-पीने की चीजों और रोजाना इस्तेमाल की चीजों तक संक्रमण पहुंच जाता है। इससे बड़े स्तर पर गंभीर मेडिकल कंडीशंस पैदा हो जाती हैं। यदि इसका सही समय पर उपचार न किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

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