
Farmers protest led by BKU's Dharmendra Malik in Lucknow demanding fair sugarcane price and action on corruption – Shah Times
लखनऊ में गन्ना मूल्य निर्धारण, चकबंदी में लापरवाही और खनिज विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर हजारों किसानों ने गन्ना आयुक्त, चकबंदी और खनिज निदेशालय का घेराव किया। पढ़िए किसानों के आक्रोश और उनकी प्रमुख मांगें।
शाह टाइम्स ब्यूरो, लखनऊ।गन्ना मूल्य निर्धारण में अनदेखी, चकबंदी की धीमी प्रक्रिया और खनिज विभाग की कथित मनमानी से नाराज़ किसानों का गुस्सा सोमवार को राजधानी लखनऊ की सड़कों पर फूट पड़ा। भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के अध्यक्ष धर्मेंद्र मलिक के नेतृत्व में प्रदेशभर से जुटे करीब 2000 किसानों ने क्रमशः गन्ना आयुक्त कार्यालय, चकबंदी निदेशालय और खनिज निदेशालय का घेराव किया और पूरे दिन धरने पर बैठे रहे।
धरनारत किसानों ने गन्ना मिलों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ये मिलें इथेनॉल, बिजली और अन्य सह-उत्पादों से मोटा मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन गन्ना किसानों को समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा। उन्होंने सरकार से पूछा कि जब केंद्र सरकार ने गन्ने की एफआरपी घोषित कर दी है, तो उत्तर प्रदेश सरकार अब तक एसीपी घोषित करने में क्यों पिछड़ रही है?
₹430 प्रति क्विंटल से कम मूल्य नहीं स्वीकार:
भाकियू के अध्यक्ष धर्मेंद्र मलिक ने स्पष्ट किया कि इस बार किसान किसी भी हालत में ₹430 प्रति क्विंटल से कम गन्ना मूल्य स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से मात्र ₹15 की वृद्धि किसानों के साथ मज़ाक है, जबकि इस बार गन्ना उत्पादन लागत में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।
चकबंदी में वर्षों से ठप योजनाएं:
चकबंदी निदेशालय के घेराव के दौरान किसानों ने बताया कि प्रदेश के कई गाँवों में दशकों से चकबंदी नहीं हुई है। इस वजह से खेतों की उचित सीमा तय नहीं हो पा रही, रास्तों का अभाव है और विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। कई बार शिकायत और वादे होने के बावजूद न कोई सर्वे हुआ, न कोई समाधान।
खनिज विभाग पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप:
खनिज निदेशालय के सामने धरने पर बैठे किसानों ने आरोप लगाया कि हाईवे निर्माण और ईंट-भट्ठों के नाम पर बड़ी-बड़ी जेसीबी मशीनों से गहराई तक मिट्टी निकाली जा रही है। मगर जब किसान खुद अपने खेत से एक ट्रॉली मिट्टी निकालते हैं, तो लाखों रुपये का जुर्माना ठोंक दिया जाता है। वहीं, नदियों और सरकारी जमीन पर खुलेआम अवैध खनन हो रहा है, लेकिन उस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती।
प्रदेश भर से जुटे किसान नेता:
इस ऐतिहासिक प्रदर्शन में मुरादाबाद से महेंद्र रंधावा, बिजनौर से दिगंबर सिंह, लखीमपुर से सरदार कुलवंत सिंह, बुलंदशहर से मांगेराम त्यागी, सहारनपुर से सुदेशपाल सिंह, मुजफ्फरनगर से सुधीर पंवार, आगरा से दीपक तोमर, कासगंज से संजय सिंह और पीलीभीत से संदीप सिंह समेत सैकड़ों किसान शामिल रहे। सभी जत्थों में बंटकर तीनों विभागों के बाहर शांतिपूर्ण मगर दृढ़ता के साथ प्रदर्शन करते रहे।
सरकार से किसानों की चेतावनी:
अध्यक्ष मलिक ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही किसानों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को अब सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस फैसले चाहिए।