
Gaza:Despite the ceasefire, tensions are rising and Donald Trump warnings are circulating.
युद्धविराम के दरमियान डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी से गाजा में नया तनाव
गाजा युद्धविराम के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी ने बढ़ाई हलचल
गाजा में युद्धविराम के बावजूद तनाव और अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी ने एक बार फिर क्षेत्रीय हालात को जटिल बना दिया है। Shah Times का संपादकीय विश्लेषण बताता है कि कैसे दबाव, बंधकों की रिहाई और निरस्त्रीकरण की बहस के बीच स्थिति अस्थिर संतुलन में बनी हुई है।
📍Washington 🗓️ 16 अक्टूबर 2025 ✍️ Asif Khan
तेल अवीव और गाजा की सरहद पर जो खामोशी है, वह सिर्फ़ ठहराव नहीं, बल्कि एक अस्थायी राहत है। युद्धविराम के बीच दुनिया एक बार फिर अस्थिर संतुलन पर खड़ी दिख रही है। राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि अगर हथियार नहीं छोड़े गए तो सैन्य अभियान फिर से शुरू हो सकता है। यह चेतावनी केवल बयान नहीं, बल्कि शक्ति समीकरण का प्रतीक है।
यहाँ सबसे अहम सवाल यह है कि क्या युद्धविराम वास्तविक शांति की शुरुआत है या केवल रणनीतिक ठहराव। राष्ट्रपति के इंटरव्यू में कहा गया कि इज़राइल को रोका गया, लेकिन जरूरत पड़ने पर वह अंदर जा सकता है। यह स्थिति दिखाती है कि संयम बाहर से लगाए गए दबाव पर आधारित है, न कि स्वेच्छा से।
गाजा की ज़मीन आज भी राख में लिपटी हुई है। लोग अपने घरों के मलबे में उम्मीद ढूंढ रहे हैं। बच्चे रात में धमाकों की आवाज़ सुनकर डर जाते हैं। इस पृष्ठभूमि में चेतावनी केवल कूटनीति नहीं, बल्कि डर की राजनीति बन जाती है।
आज का शाह टाइम्स ई-पेपर डाउनलोड करें और पढ़ें
अमेरिकी दबाव और इज़रायली संयम
प्रधानमंत्री ने युद्धविराम को “रणनीतिक धैर्य” बताया, लेकिन यह धैर्य अमेरिकी दबाव का नतीजा है। यह स्पष्ट करता है कि शांति का निर्णय स्वतंत्र नहीं बल्कि बाहरी हस्तक्षेप पर निर्भर है। क्या इज़राइल को रोकना शांति सुनिश्चित करना है या केवल अस्थायी स्थिरता दिखाना? जब तक राजनीतिक, सामाजिक और मानवीय मुद्दों का समाधान नहीं होगा, तब तक युद्धविराम केवल समय खरीदने जैसा है।
बंधकों की रिहाई और अंतरराष्ट्रीय दबाव
राष्ट्रपति ने बंधकों की रिहाई को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। अंतरराष्ट्रीय संस्था ने दो और शव सौंपे। लेकिन प्रक्रिया धीमी है। बंधकों की वापसी मानवीय पहलू है, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए इसका इस्तेमाल होता है। इस धीमी रिहाई से तनाव बढ़ता है और युद्धविराम कमजोर पड़ता है।
बंधन और हथियारों का सवाल केवल सैन्य नहीं, बल्कि पहचान और आत्मसम्मान का भी है। इसे हल करने के लिए विश्वास और सहयोग की जरूरत है।
क्या सैन्य समाधान स्थायी शांति ला सकता है?
इतिहास बताता है कि केवल सैन्य दृष्टिकोण से संघर्ष को रोका नहीं जा सकता। जब सामाजिक न्याय, राजनीतिक संवाद और आर्थिक अवसर नहीं होते, तो हथियारों के नष्ट होने से समाधान नहीं आता। दबाव और धमकी केवल अस्थायी संतुलन बनाते हैं, स्थायी शांति नहीं।
सियासत की शतरंज और मानवीय सवाल
गाज़ा की गलियों में धूल और मलबा फैला है। लोग अपने खोए घरों में लौटने का इंतजार कर रहे हैं। सत्ता पक्ष सुरक्षा की बात करता है, लेकिन मानवता नजरअंदाज होती है। धमकी और बल प्रयोग असली शांति नहीं ला सकते। असली समाधान विश्वास और न्याय पर आधारित होना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय दृष्टि और विकल्प
युद्धविराम को दुनिया एक अवसर के रूप में देख रही है। दबाव और मध्यस्थता अस्थायी हैं। स्थायी समाधान के लिए सभी पक्षों को समान रूप से भागीदार बनाया जाना चाहिए। इसमें विश्वास बनाने की प्रक्रिया, नागरिकों की सुरक्षा और प्रशासन का पुनर्गठन शामिल होना चाहिए।
नज़रिया
युद्धविराम एक महत्वपूर्ण ठहराव है, पर शांति केवल इसके नाम पर नहीं आ सकती। चेतावनी और दबाव अस्थायी संतुलन लाते हैं, पर दीर्घकालिक समाधान तभी संभव है जब हथियारों को त्यागने के साथ न्याय, राजनीतिक सहभागिता और मानवीय सुधार भी शामिल हों।
स्थायी शांति के लिए केवल युद्धविराम पर्याप्त नहीं, बल्कि विश्वास और न्याय का निर्माण आवश्यक है।






