
IndiGo rose from leasing planes to briefly becoming the world's most valuable airline. Discover how this Indian carrier reached global heights
इंडिगो ने उधार के विमानों से शुरुआत कर दुनिया की सबसे वैल्यूएबल एयरलाइन बनने तक का सफर तय किया। जानिए कैसे भारत की यह एयरलाइन वैश्विक ऊंचाइयों पर पहुंची।
नई दिल्ली (शाह टाइम्स) भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो ने बुधवार को ऐसा कीर्तिमान रचा, जो अब तक किसी भारतीय एयरलाइन ने नहीं किया था। मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से इंडिगो कुछ समय के लिए दुनिया की सबसे वैल्यूएबल एयरलाइन बन गई। इस दौरान इसने करीब सौ साल पुरानी अमेरिका की दिग्गज कंपनी डेल्टा एयरलाइन्स को भी पछाड़ दिया।
बाजार में कारोबार के दौरान इंडिगो का शेयर अपने 52 हफ्तों के उच्चतम स्तर 5,189.40 रुपये तक पहुंचा। इसका मार्केट कैप 2.01 लाख करोड़ रुपये यानी लगभग $23.24 बिलियन तक पहुंच गया था, जो डेल्टा एयरलाइंस के $23.18 बिलियन से अधिक था। हालांकि यह मुकाम इंडिगो के पास महज एक घंटे रहा। दिन के अंत में डेल्टा के शेयर में उछाल आने से उसका मार्केट कैप $28.60 बिलियन तक पहुंच गया।
छोटी शुरुआत, बड़ी उड़ान
इंडिगो की यह सफलता और भी खास इसलिए बनती है क्योंकि इसकी स्थापना महज 18 साल पहले 2006 में हुई थी। वहीं डेल्टा एयरलाइन्स 1929 से संचालित हो रही है। उस दौर में इंडिगो के पास अपना कोई विमान नहीं था। संस्थापक राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने एयरबस से 100 विमान उधार लेकर शुरुआत की थी।
पहली उड़ान 4 अगस्त 2006 को भरी गई और उसके बाद इंडिगो ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज इंडिगो के पास 437 विमान हैं और यह हर हफ्ते 15,768 फ्लाइट्स ऑपरेट करती है। कंपनी ने 2023 में 500 एयरबस विमानों का ऑर्डर देकर एविएशन इतिहास में सबसे बड़ा ऑर्डर भी दिया है। आने वाले दशक में इसके बेड़े में 1,000 से ज्यादा विमान होंगे।
आम आदमी की एयरलाइन बनी इंडिगो
इंडिगो ने अपनी रणनीति को कम लागत, अधिक कनेक्टिविटी और समय की पाबंदी के सिद्धांत पर खड़ा किया। एक समय हवाई सफर सिर्फ अमीरों के लिए माना जाता था, लेकिन इंडिगो ने “हवाई चप्पल वाले को भी हवाई जहाज़ में बैठाने” का सपना साकार कर दिखाया। इसकी वजह से हवाई यात्रा आम भारतीय के लिए सुलभ बन पाई।
बुनियाद रखने वालों में खटास
हालांकि सफलता की उड़ान के बीच रिश्तों में दरार भी आई। 2020 में राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल के बीच विवाद खुलकर सामने आया। गंगवाल ने कंपनी के संचालन को लेकर असहमति जताई और 2022 में बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। अब गंगवाल की कंपनी में 5.31% हिस्सेदारी है जबकि उनका ट्रस्ट 8.24% हिस्सेदारी रखता है। दूसरी ओर भाटिया की हिस्सेदारी 36% है और उनकी नेटवर्थ $9.42 अरब तक पहुंच चुकी है।
एविएशन मार्केट में कड़ा मुकाबला
इंडिगो के सामने अब भी चुनौतियां कम नहीं हैं। टाटा ग्रुप के अधिग्रहण के बाद एयर इंडिया इंडिगो को सीधी टक्कर दे रही है। लेकिन जिस तरह इंडिगो ने कम समय में वैश्विक पहचान बनाई है, वह भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए गौरव की बात है।