
नंगला मंदौड़ में पंचायत पर एसडीएम जानसठ ने धारा 144 के उल्लंघन और तत्कालीन एसओ सिखेड़ा ने सरकारी कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज कराया था।
मुजफ्फरनगर,(Shah Times) । 2013 में कवाल कांड के बाद नंगला मंदौड़ पंचायत में शामिल होकर आचार संहिता का उल्लंघन करने और सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में शनिवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में सुनवाई के दौरान पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान, सांसद हरेंद्र मलिक, पूर्व विधायक उमेश मलिक और स्वामी यति नरसिंहानंद गिरि समेत अन्य आरोपी पेश हुए।
जानसठ कोतवाली क्षेत्र के कवाल गांव में गौरव और सचिन की हत्या के बाद 31 अगस्त को नंगला मंदौड़ में पंचायत बुलाई गई थी, जिसमें आसपास के जिलों के लोग भी शामिल हुए थे। एसडीएम जानसठ ने धारा 144 के उल्लंघन और तत्कालीन एसओ सिखेड़ा ने सरकारी कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज कराया था।
इस मामले की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में चल रही है। शनिवार को मामले की सुनवाई होने के कारण पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान, सांसद हरेंद्र मलिक, पूर्व विधायक उमेश मलिक, भाजपा नेता यशपाल पवार, दासन देवी मंदिर गाजियाबाद के महंत स्वामी यति नरसिंहानंद गिरि समेत कई अन्य आरोपी कोर्ट में पेश हुए। इस मामले में कुछ आरोपियों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से कोर्ट के समक्ष हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता श्यामवीर सिंह व बिजेंद्र मलिक ने बताया कि वे कोर्ट में हाजिरी के लिए उपस्थित हुए, कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तिथि तय कर दी है।
आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, पूर्व भाजपा सांसद भारतेंदु सिंह, साध्वी प्राची, पूर्व भाजपा विधायक उमेश मलिक, भाजपा नेता यशपाल पवार व सांसद हरेंद्र मलिक समेत कुल 11 लोगों पर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने व सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप है और इन लोगों पर मुकदमा चल रहा है।
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में दावा किया है कि आरोपियों ने अगस्त 2013 के अंतिम सप्ताह में एक महापंचायत में भाग लिया था और अपने भाषणों के माध्यम से हिंसा भड़काई थी।
2013 में मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में हुए सांप्रदायिक दंगों में 60 लोगों की जान चली गई और 40,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए।