
Nepal former King Gyanendra Shah
नेपाल (Nepal) में क्या सत्ता फिर से खतरे में है क्योंकि नेपाल में जिस तरह से पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का दस हजार लोगों ने स्वागत किया है।
काठमांडू (Shah Times): नेपाल (Nepal) में क्या सत्ता फिर से खतरे में है क्योंकि नेपाल में जिस तरह से पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का दस हजार लोगों ने स्वागत किया है। उससे एक बात साफ है कि नेपाल के लोग सरकार को हटाकर राजशाही शासन चाहते हैं। ऐसे में कहीं ना कहीं भारत सरकार के लिये यह एक अच्छी और बड़ी खबर है।
दुसरी तरफ जब राजा ज्ञानेंद्र शाह नेपाल पहुंचे तो उनके समर्थकों के हाथ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी फोटो देखी गई। यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है।
नेपाल (Nepal) के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का रविवार को काठमांडू पहुंचने पर उनके हजारों समर्थकों ने “आओ राजा, राष्ट्र बचाओ” के नारों के साथ स्वागत किया। यह बात राजशाही की बहाली और नेपाल को हिंदू राज्य का दर्जा देने की बढ़ती मांग के बीच कही जा रही है। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, पश्चिमी नेपाल के दौरे के बाद 77 वर्षीय पूर्व राजा के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से बाहर निकलते ही उनके समर्थकों ने नेपाल का झंडा लहराया और “आओ राजा, राष्ट्र बचाओ!” जैसे नारे लगाए।

नेपाल (Nepal) के एयरपोर्ट में राजशाही समर्थकों ने राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के सदस्यों के साथ “हम अपने राजा को वापस चाहते हैं और संघ गणतंत्र प्रणाली को हम खत्म करना चाहते हैं। एपी ने बताया कि लगभग 10,000 समर्थक हवाई अड्डे के बाहर एकत्र हुए और इसके मुख्य प्रवेश द्वार को अवरुद्ध कर दिया। भारी भीड़ के कारण यात्रियों को हवाई अड्डे से पैदल ही आना-जाना पड़ा।
ऐसे में चीन और पाकिस्तान को बड़ा झटका लग सकता है। इसका मुख्य कारण यह भी है कि चीन की बढ़ती महत्वकांक्षा के बीच नेपाल सरकार ने बड़ा कर्ज चीन से ले रखा था जिसके आधार पर भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान मिलकर नेपाल की जमीन का प्रयोग कर रहे थे। ऐसे में अब अगर सत्ता परिवर्तन होता है तो चीन और पाकिस्तान की मुश्किलें इंटरनेशनल स्तर पर बढ़ जाएंगी।
2008 में समाप्त हुई थी राजशाही
नेपाल ने 2008 में एक दशक लंबे गृह युद्ध के बाद 240 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर दिया था, जिसमें 16,000 से अधिक लोग मारे गए थे। हालांकि, राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और आर्थिक संघर्षों से असंतोष ने पूर्व शाही परिवार के लिए समर्थन में फिर से वृद्धि की है। रैली में शामिल हुए शिक्षक राजिंद्र कुंवर ने कहा, “देश अस्थिरता का सामना कर रहा है, कीमतें अधिक हैं, लोग बेरोजगार हैं और शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है।” कुंवर ने कहा, “गरीब भूख से मर रहे हैं। कानून जनता पर लागू होता है, लेकिन राजनेताओं पर नहीं। इसलिए हमें राजा की वापसी चाहिए।” नेपाल में 2008 से 13 अलग-अलग सरकारें रही हैं, जिसमें शासन के मुद्दों पर बढ़ती निराशा है। कुछ प्रदर्शनकारियों ने, जिनमें पहले राजशाही के उन्मूलन का समर्थन करने वाले लोग भी शामिल हैं, अब अपना रुख बदल दिया है। बढ़ई कुलराज श्रेष्ठ ने कहा, “मैं उन विरोध प्रदर्शनों में शामिल था, जिन्होंने राजशाही को खत्म कर दिया था, उम्मीद थी कि इससे देश को मदद मिलेगी, लेकिन मैं गलत था।
आम तौर पर राजनीतिक मामलों पर चुप रहने वाले ज्ञानेंद्र हाल ही में कई बार सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं। पिछले महीने नेपाल के लोकतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, “अब समय आ गया है। अगर हम अपने देश को बचाना चाहते हैं और राष्ट्रीय एकता बनाए रखना चाहते हैं, तो मैं सभी देशवासियों से नेपाल की समृद्धि और प्रगति के लिए हमारा समर्थन करने का आह्वान करता हूं।” राजशाही के पक्ष में बढ़ती भावना के बावजूद, राजनीतिक विश्लेषक लोक राज बराल ने एएफपी को बताया कि राजशाही की वापसी की संभावना नहीं है, उन्होंने कहा कि यह “अस्थिरता का स्रोत” है। उन्होंने कहा, “कुछ असंतुष्ट समूहों के लिए, राजनेताओं की अक्षमता के कारण यह पीछे हटने का एक तरीका बन गया है।
फरवरी से जारी है आंदोलन
फरवरी से ही राजशाही की बहाली के लिए आंदोलन जोर पकड़ रहा है, जब ज्ञानेंद्र के लोकतंत्र दिवस के बयान ने नेपाल की भविष्य की राजनीतिक व्यवस्था पर बहस को फिर से हवा दे दी थी। बॉलीवुड अभिनेत्री मनीषा कोइराला, जो नेपाल के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बीपी कोइराला की पोती हैं, ने सोशल मीडिया पर नेपालियों से पूर्व नरेश का स्वागत करने के लिए हवाई अड्डे पर इकट्ठा होने का आग्रह किया।