
President Rule
कोलकत्ता (Shah Times): क्या पश्चिम बंगाल (President Rule) में मामता सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है। यह इस समय का सबसे बड़ा सवाल है जो सबके जहन में आ रहा है। इस पर सुबह से ही वार पलटवार की राजनीति हो रही है।
पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता (एलओपी) और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन के तहत चुनाव कराने की मांग की है और आरोप लगाया है कि राज्य पुलिस प्रभावी रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राजनीतिक एजेंडे के साथ जुड़ी हुई है।
अधिकारी ने एक कड़े बयान में दावा किया, “बंगाल में राष्ट्रपति शासन के बिना चुनाव नहीं हो सकते…पुलिस ममता बनर्जी के कैडर हैं। हम जिहादियों से लड़ने के लिए तैयार हैं। जहां हिंदू आबादी 50% से कम है, ये तत्व हिंदुओं को मतदान करने से रोकेंगे। चुनाव की पूर्व संध्या पर चुनाव आयोग को पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करनी चाहिए।”
उनकी यह टिप्पणी राज्य में राजनीतिक हिंसा और अशांति को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आई है। खासकर मुर्शिदाबाद और जंगीपुर जिलों में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बाद तनाव बढ़ रहा है। प्रदर्शन हिंसक हो गए, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिसके परिणामस्वरूप पथराव हुआ और कई पुलिस वाहनों में आग लगा दी गई।
अशांति के मद्देनजर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती का आदेश दिया है। आईजी साउथ बंगाल फ्रंटियर करणी सिंह शेखावत के अनुसार, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने में राज्य पुलिस की सहायता के लिए पांच कंपनियां भेजी हैं।
प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, तथा राज्य में आगामी चुनावों की तैयारियों के बीच अधिकारी हिंसा को नियंत्रित करने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रयास जारी रखे हुए हैं।
तृणमूल ने हिंसा के पीछे बीएसएफ पर लगाये आरोप
तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने सोमवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में सांप्रदायिक हिंसा के पीछे केंद्रीय एजेंसियों, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के “कुछ वर्गों” और दो-तीन राजनीतिक दलों के बीच साजिश है। भाजपा ने पलटवार करते हुए घोष पर केंद्रीय बलों का अपमान करने और वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया।
वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा को “कुछ बुरी घटनाएं” बताते हुए घोष ने आरोप लगाया कि कुछ उपद्रवी जिले में घुस आए, अराजकता फैलाई और उन्हें वापस जाने के लिए सुरक्षित रास्ता दिया गया। उन्होंने लोगों से किसी भी उकसावे पर प्रतिक्रिया न करने की अपील की।
उन्होंने कहा, “हमें कुछ इनपुट मिल रहे हैं कि उन घटनाओं (मुर्शिदाबाद हिंसा) के पीछे एक बड़ी साजिश थी। केंद्रीय एजेंसियों के कुछ हिस्से, बीएसएफ का एक हिस्सा और दो या तीन राजनीतिक दलों का एक हिस्सा इस साजिश में शामिल था। बीएसएफ के एक हिस्से की मदद से सीमा में सेंध लगाई गई।
कुछ उपद्रवी घुस आए, अराजकता फैलाई और उन्हें वापस लौटने के लिए सुरक्षित रास्ता दिया गया। मैं ‘सीमा’ और ‘बीएसएफ के एक हिस्से की मदद से’ शब्दों का इस्तेमाल करता हूं। यह सच है या नहीं, इसकी उचित जांच की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, “स्थानीय लोगों को कोई जाना-पहचाना चेहरा नहीं मिल रहा है। मास्टरमाइंड कौन हैं? पुलिस कुछ लोगों के खिलाफ कुछ कदम उठा रही है। लेकिन मुख्य मास्टरमाइंड कहां से आए और कहां चले गए? आरोप है कि बीएसएफ की मदद से पश्चिम बंगाल को बदनाम करने और उन इलाकों में कुछ पाप करने की गहरी साजिश रची जा रही है। ताकि भाजपा और विपक्ष उन पापों का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर सकें।”