
Rakesh Tikait being supported by followers after turban incident during Jan Aakrosh Rally – Shah Times
मुजफ्फरनगर में जन आक्रोश रैली के दौरान भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पर झंडे से हमला हुआ। धक्का-मुक्की में उनकी पगड़ी गिर गई। जानिए पूरी घटना और माहौल की स्थिति। पूरी रिपोर्ट
मुजफ्फरनगर, (Shah Times)।उत्तर प्रदेश के संवेदनशील जिले मुजफ्फरनगर में शुक्रवार को आयोजित जन आक्रोश रैली उस वक्त विवादों में आ गई जब देशभर में किसानों की आवाज़ बन चुके राकेश टिकैत पर अज्ञात लोगों ने झंडे से हमला कर दिया। इस दौरान धक्का-मुक्की में उनकी पगड़ी गिर गई, जिसे उनके एक समर्थक ने तुरंत उठाकर वापस पहनाया। रैली का माहौल देखते ही देखते तनावपूर्ण हो गया, और प्रशासन को भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
जन आक्रोश रैली क्यों हुई?
इस रैली का आयोजन हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के विरोध में किया गया था। इस हमले में कई सुरक्षाबलों के जवान शहीद हो गए थे, जिसकी निंदा करते हुए हिंदू संगठनों ने रैली का नेतृत्व किया।
रैली के दौरान मुजफ्फरनगर शहर के बाजार बंद रहे और हजारों लोग सिविल लाइन थाना क्षेत्र के टाउन हॉल ग्राउंड में एकत्रित हुए।
रैली में क्या हुआ?
जैसे ही राकेश टिकैत मंच की ओर बढ़े, भीड़ के एक वर्ग ने अचानक उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
इन लोगों के हाथों में भगवा झंडे थे और वे जोर-जोर से “मोदी-योगी जिंदाबाद” के नारे लगाने लगे।
अचानक एक व्यक्ति ने टिकैत के सिर पर झंडा मार दिया, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई।
धक्का-मुक्की में टिकैत की पगड़ी गिर गई, जो एक किसान के लिए सम्मान का प्रतीक मानी जाती है।
स्थिति गंभीर होती देख उनके समर्थकों ने तुरंत घेरा बनाकर उन्हें सुरक्षित किया।
घटना के बाद का हाल:
इस अप्रत्याशित घटना के बाद मौके पर पुलिस बल को तैनात किया गया।
माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है।
पुलिस ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
राकेश टिकैत को कोई गंभीर चोट नहीं आई है और वे सुरक्षित हैं।
राकेश टिकैत का बयान: ‘हम डरने वाले नहीं’
घटना के बाद राकेश टिकैत ने अपना गुस्सा जाहिर किया और कहा, “ये जो नए-नए हिंदू बने हैं, उनकी मानसिकता खराब हो गई है। यह लोग देश में तनाव फैलाने का काम कर रहे हैं। मुजफ्फरनगर में हम डरने वाले नहीं हैं, हम नागपुरियों को मुंहतोड़ जवाब देंगे।” राकेश टिकैत का यह बयान हिंदू संगठनों द्वारा विरोध किए जाने पर आया। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के मामले में समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना था कि वे ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और इन असमाजिक तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देंगे।
जन आक्रोश रैली के बाद ट्रैक्टर रैली की योजना
इस घटना के बाद राकेश टिकैत ने जन आक्रोश रैली के सफल आयोजन के बाद अब ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है। उनका कहना था कि जब तक मुजफ्फरनगर प्रशासन इस हमले में शामिल गुंडों को गिरफ्तार नहीं करेगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
राकेश टिकैत कौन हैं?
राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।
उनका जन्म 4 जून 1969 को उत्तर प्रदेश के सिसौली गांव में हुआ।
वे प्रसिद्ध किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं, जिन्होंने 80 और 90 के दशक में किसानों के हक के लिए कई बड़े आंदोलन किए थे।
राकेश टिकैत ने लॉ की पढ़ाई की है और कुछ समय तक पुलिस विभाग में भी सेवा दी, लेकिन जल्द ही उन्होंने किसान राजनीति को अपनाया।
2020-21 का किसान आंदोलन और टिकैत की भूमिका
जब 2020 में केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानून लेकर आई, तब देशभर में किसानों ने विरोध शुरू किया।
दिल्ली बॉर्डर पर गाज़ीपुर स्थल पर टिकैत का भावुक भाषण, जिसमें वे रो पड़े थे, आंदोलन की दिशा बदलने वाला साबित हुआ।
उनकी कूटनीति, नेतृत्व और ज़मीन से जुड़ी भाषा ने हजारों किसानों को जोड़कर रखा और सरकार को अंततः कानून वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा।
राजनीति से दूरी और किसान हित में समर्पण
हालांकि राकेश टिकैत ने 2007 में एक बार लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्होंने मुख्यधारा की राजनीति से खुद को दूर रखा है।
उनका कहना है —
“मेरा मकसद सत्ता नहीं, किसानों की सेवा है।”
आज भी वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, कर्ज़ माफी, और कृषि सुधारों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
हमले का राजनीतिक और सामाजिक संकेत
इस घटना ने न केवल किसानों को आहत किया है बल्कि एक बड़ी राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है —
क्या किसानों के हित की आवाज़ को दबाने की कोशिश हो रही है?
क्या एक लोकतांत्रिक देश में शांतिपूर्ण विरोध की जगह अब खत्म होती जा रही है?
टिकैत पर हमला दर्शाता है कि किसान राजनीति और ध्रुवीकरण की राजनीति के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।
ऐसे समय में सवाल उठता है —
क्या सरकार और प्रशासन ऐसी घटनाओं को रोकने में सक्षम हैं?
निष्कर्ष:
मुजफ्फरनगर की जन आक्रोश रैली में राकेश टिकैत पर हुआ हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि एक विचारधारा पर हमला है।
वह विचारधारा जो संविधान, लोकतंत्र और किसान हितों की रक्षा की बात करती है।
रैली के माध्यम से यह बताना ज़रूरी था कि देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है, लेकिन उसमें हिंसा और वैचारिक असहिष्णुता की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
प्रशासन को चाहिए कि वह घटना की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दिलाए, ताकि भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके।