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सुपरबग का नाम तो शायद आपने सुना ही होगा। मगर पहली बार में यह नाम सुनकर ऐसा लगता है जैसे कोई खरतनाक जीव होता होगा और जिसके काटने से मौत हो जायेगी।
New Delhi, (Shah Times) । सुपरबग खतरनाक तो इतना ही होता है, मगर इसका वास्ता कीड़ों की दुनिया से नहीं बल्कि जर्म्स की दुनिया से है। जब कोई बैक्टीरिया, पैथोजेन या वायरस एंटीबायोटिक्स और दूसरे एंटीमाइक्रोबियल ड्रग्स के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता बना लेता है तो सुपरबग बन जाता है। फिर उस पर दवाइयां असर नहीं करती और इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
आपने पिछले कुछ सालों में मच्छरों को लेकर एक बात गौर की होगी। पहले ये मच्छर मॉर्टीन के धुएं से मर जाते थे। कुछ दिन बाद यह बेअसर हो गई। फिर जहरीली अगरबत्ती और फास्ट कार्ड आए, कुछ दिन ये खूब असरदार साबित हुए। बाद में इनका धुआं भी बेअसर हो गया। दरअसल में इस बीच मच्छरों की प्रतिरोधी क्षमता कई गुना बढ़ गई है और ये ताकतवर हो गए हैं। इन्होंने इस जहरीले धुएं में रहना सीख लिया है। ऐसे ही कई बैक्टीरिया, पैथोजेन्स और वायरस भी दवाइयों से लड़ना सीख जाते है और बहुत ताकतवर हो गए हैं। कई सुपरबग्स ऐसे हैं, जिन पर कोई दवा असर नहीं करती है। बल्कि चिंता करने बात ये है की अब इनकी संख्या में इजाफा हो रहा है। जो बेहद चिंता का विषय बनता जा रहा है।
सुपरबग माइक्रोबियल स्ट्रेन हैं। पहले जो दवाएं इनके द्वारा फैलाए गए इन्फेक्शन के इलाज में इस्तेमाल होती थीं, अब ये उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो गए हैं। साफतौर पर ऐसे कह सकते है की अब इन पर दवाइयों का कोई असर नही होता है।
इस संबंध में डॉक्टर नेहा करनानी ने जानकारी देते हुए बताया कि सुपरबग के कारण होने वाली बेहद सामान्य बीमारियों का भी इलाज कर पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि इन पर दवाओं का असर ही नहीं होता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक ये सुपरबग्स अमेरिका में हर साल 28 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित करते हैं और इनमें से 35,000 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। अगर इसका कोई स्ट्रेन महामारी की तरह फैला तो ये तबाही ला सकता है।
विशेषज्ञ सुपरबग्स को कोविड 19 से भी ज्यादा खतरनाक मान रहे हैं। इसके पीछे ओर भी बहुत से कारण हैं, तो चलिए आपको बताते हैं सुपरबग क्यों कोविड़ 19 से भी ज्यादा खतरनाक है।
कोविड 19
कोविड 19 महामारी ने लाखों लोगों की जान ली है। इसने बड़े पैमाने पर आर्थिक और सामाजिक उथल-पुथल मचाई है। हालांकि इस महामारी की कम समय में ही प्रभावी वैक्सीन बन गईं और दुनिया इससे उबर गई। कोविड-19 की तबाही के आगे ICU जैसी व्यवस्थाएं चरमरा गई थीं। इसका असर दूसरी हेल्थ कंडीशंस पर भी पड़ा। हालांकि, जैसे ही कोविड पर थोड़ा काबू पाया गया, दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज पटरी पर आ गया
सुपरबग
जबकि कोविड 19 के विपरीत सुपरबग व्यापक है और जितना समय बीतेगा, यह उतना ही खतरनाक होता जाएगा। अगर एक बार कोई बैक्टीरिया रेजिस्टेंट हो गया तो जिन संक्रमणों का पहले इलाज संभव था, वे जानलेवा हो सकते हैं। मेडिसिन कम्युनिटी इन पैथोजेन्स के रैपिड इवॉल्यूशन के साथ तालमेल बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल और भी चिंता का विषय है। इसी के साथ साथ सुपरबग्स के कारण दवा प्रतिरोधी संक्रमण रेगुलर सर्जरी, कैंसर के इलाज और क्रॉनिक डिजीज को ज्यादा मुश्किल बना सकते हैं। इससे मामूली संक्रमण भी जानलेवा बन जाते हैं और ये पूरे हेल्थकेयर सिस्टम को बर्बाद कर सकते हैं।
आर्थिक दृष्टि से देखा जाए तो कोविड 19 के कारण ज्यादातर देशों को बड़े आर्थिक झटके लगे। हालांकि ज्यादातर अल्पकालिक थे और उनमें सुधार हो गया है। जबकि सुपरबग इसके बिल्कुल विपरीत है।
सुपर बग लंबे समय तक चलने वाली समस्या है। आने वाले समय में इलाज की लागत और बढ़ जाएगी, बीमार लोग बढ़ेंगे तो प्रोडक्टिविटी घटेगी। यह सब मिलकर दीर्घकालिक आर्थिक असर डाल सकता है। विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक 2050 तक एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंट से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 100 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।
इससे यह अंदाजा लगता है कि लगभग सभी पैमानों में सुपरबग्स कोविड 19 से कहीं ज्यादा खतरनाक हैं।
Superbug is more dangerous than COVID 19, even medicines become ineffective