
गठबंधन सहयोगी कांग्रेस, सीपीआईएम और आप पर कम से कम निर्भरता हो इसके लिए नेकां अपने साथ निर्दलीय विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर रही है ताकि व अपने दम पर सरकार चला सके।
श्रीनगर (Shah Times): हरियाणा में जीती हुई बाजी हारने के बाद कांग्रेस के लिये हर जगह से बूरी खबर आ रही है। अब कश्मीर में भी गठबंधन की गांठे खुलना शुरू हो चुकी हैं। विधानसभा चुनाव में 42 सीटें जीतने वाली नेशनल कांफ्रेंस नेकां गठबंधन की सरकार में होने के बाद भी अपनी शर्तो पर सरकार चलाने की राह पर चल रही है।
कांग्रेस को नहीं मिल रही है तरजीह
गठबंधन सहयोगी कांग्रेस, सीपीआईएम और आप पर कम से कम निर्भरता हो इसके लिए नेकां अपने साथ निर्दलीय विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर रही है ताकि व अपने दम पर सरकार चला सके।
अपने तरीके से सरकार चलाना चाहती है नेका
नेकां गठबंधन के सहयोगी के कम से कम हस्तक्षेप के बिना अपनी शर्तों पर सरकार चलाने के लिए सरकार के गठन से पहले ही प्रयास कर रही है। नेकां ने अपने दम पर जरूरी बहुमत जुटा ली है। नेकां के निर्दलीय विधायकों के साथ अब आप का भी समर्थन मिला है।
दबाव नहीं चाहती नेका
सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने गठबंधन की सरकार में दो मंत्रालय व राज्य मंत्री का पद मांगा था, लेकिन नेकां उन्हें एक-एक पद से ज्यादा देने के मूड में नहीं है। नेकां गठबंधन के दबाव में सरकार चलने नहीं चाहती है। ऐसे में वह कांग्रेस को कम से कम महत्व दे रही है।
पक्ष और विपक्ष के बीच होगा 22 का फैसला
विधानसभा में पक्ष और विपक्ष के बीच 22 का फैसला होगा। सत्ताधारी पाले में 56 विधायक होंगे जबकि विपक्ष में 34 विधायक होंगे। 56 विधायकों वाले सत्तापक्ष में नेशनल कांफ्रेंस के सबसे ज्यादा 42 विधायक रहेंगे। जबकि कांग्रेस के छह, सीपीएम से एक, आम आदमी पार्टी से एक और निर्दलीय छह विधायक है। वहीं विपक्ष में 34 विधायक हैं, जिसमें 29 भाजपा, तीन पीडीपी, पीसी से एक, एआईपी से एक विधायक हैं।