
Bride sent to Pakistan the day after marriage; emotional story of family stranded at Wagah border, Indian groom expresses pain.
शादी के अगले दिन दुल्हन को पाकिस्तान भेजने का मामला, वाघा सीमा पर फंसे महिलाओं और बच्चों की दर्दनाक कहानी, भारतीय दूल्हे का छलका दर्द।
अमृतसर/श्रीनगर (शाह टाइम्स) केंद्र सरकार द्वारा पाकिस्तान के नागरिकों के वीजा रद्द किए जाने के बाद कई पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से वापस भेजा जा रहा है। इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर के आमिर मलिक की शादी के अगले ही दिन उनकी दुल्हन को पाकिस्तान भेज दिया गया। यह घटना न केवल भावनात्मक रूप से झकझोर देने वाली है, बल्कि सवाल भी खड़े करती है कि क्या इस तरह के अचानक लिए गए फैसलों से मानवीय पक्ष की अनदेखी हो रही है।
27 अप्रैल को हुई थी शादी, 28 को पहुंची पुलिस
श्रीनगर के नेहरू पार्क इलाके में 27 अप्रैल को आमिर मलिक की शादी रावलपिंडी निवासी हाजिया से धूमधाम से हुई थी। परिवार खुशी में डूबा ही था कि अगले ही दिन 28 अप्रैल की सुबह पुलिस उनके घर पहुंची और दुल्हन सहित उसके परिवार को अटारी-वाघा बॉर्डर पर ले गई। आमिर मलिक का कहना है, “शादी के अगले दिन मेरी पत्नी को पाकिस्तान भेज दिया गया। वह वाघा बॉर्डर पर फंसी हुई है, न वह यहां आ पा रही है, न वहां जा पा रही है।
वाघा सीमा पर फंसी महिलाएं और बच्चे
इस मामले में केवल हाजिया ही नहीं, बल्कि आमिर के रिश्तेदार नदीम की पत्नी हिना नदीम और उनके चार बच्चों को भी पाकिस्तान भेजने की तैयारी की गई। नदीम ने बताया, “हमें मंगलवार देर रात नोटिस मिला और बुधवार सुबह अटारी पहुंच गए। वहां से हमें वाघा भेजा गया, लेकिन सीमा बंद होने के कारण वे वहीं फंस गए हैं। न भारत में प्रवेश मिल रहा है, न पाकिस्तान में।”
“कोई पुरुष साथ नहीं, रात में कहां जाएं?”
नदीम ने आगे कहा कि उनकी पत्नी, भतीजी और चार बच्चे इस समय भारतीय सीमा की जीरो लाइन पर हैं। उनके साथ कोई पुरुष नहीं है। रात में वे कहां जाएं, कौन उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगा? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस उन्हें बस सीमा पर छोड़कर वापस लौट गई।
सरकार के फैसले का सम्मान, लेकिन…
नदीम और आमिर दोनों ने कहा कि वे भारत सरकार के फैसले का सम्मान करते हैं और कोई आपत्ति नहीं जताई है, लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि इतनी जल्दबाजी न की जाती और कुछ समय की मोहलत मिलती। “कम से कम शादी की एक रात तो साथ बिताने दी जाती,” आमिर ने कहा।
न्याय और सहानुभूति की मांग
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या अचानक वीजा रद्द करना और लोगों को सीमा पर छोड़ देना सही है? क्या इसमें मानवीयता का ख्याल नहीं रखा जाना चाहिए? आमिर और नदीम जैसे लोग अब सरकार से जवाब चाहते हैं कि उनकी पत्नियां और बच्चे सुरक्षित घर कब लौट पाएंगे, और अगर सीमा पर कोई अनहोनी होती है तो जिम्मेदारी किसकी होगी?