
List of constitutional officials who can face impeachment in India, including the President, Chief Justice, and more — An exclusive analysis by Shah Times.
भारतीय संविधान में महाभियोग: अधिकार, प्रक्रिया और संभावनाएं
महाभियोग केवल राष्ट्रपति या मुख्य न्यायाधीश तक सीमित नहीं है। भारत में किन-किन संवैधानिक पदों पर महाभियोग चल सकता है? जानें इस संपादकीय विश्लेषण मे
महाभियोग की प्रक्रिया और किन-किन पर लागू होती है?
भारत का संविधान लोकतंत्र की आत्मा है और इस आत्मा को जीवित रखने के लिए उसमें ऐसे कई प्रावधान किए गए हैं जो जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं। महाभियोग (Impeachment) एक ऐसी ही संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके जरिए उच्च संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को हटाया जा सकता है—यदि वे अपने पद का दुरुपयोग करते हैं या अयोग्य सिद्ध होते हैं।
🇮🇳 किसे हटाया जा सकता है महाभियोग द्वारा?
- 🧑⚖️ राष्ट्रपति (President of India) अनुच्छेद 61 के तहत, राष्ट्रपति पर संविधान के उल्लंघन के आधार पर महाभियोग चलाया जा सकता है। यह प्रक्रिया संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से की जाती है।
- ⚖️ मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट के अन्य न्यायाधीश (Chief Justice and Judges) अनुच्छेद 124(4) और 217 के तहत, सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के न्यायाधीशों को “दुराचार या अक्षमता” के आधार पर संसद द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया से हटाया जा सकता है। इसका सबसे चर्चित उदाहरण जस्टिस वी. रमास्वामी का है।
- 🧑🏫 उपराष्ट्रपति (Vice President) उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, उन्हें संविधान के अनुच्छेद 67(b) के तहत संसद द्वारा हटाया जा सकता है। यह महाभियोग नहीं कहलाता, लेकिन प्रक्रिया महाभियोग जैसी ही होती है।
- 📢 राज्यपाल (Governors) राज्यपाल को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और वह राष्ट्रपति की इच्छा पर पद से हटाए जा सकते हैं। हालांकि उन पर महाभियोग की संवैधानिक प्रक्रिया नहीं है।
- 📋 महालेखा परीक्षक (CAG), मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (ECs) CAG को संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत और CEC/ECs को अनुच्छेद 324(5) के अंतर्गत हटाने की प्रक्रिया न्यायाधीशों जैसी ही होती है। हालांकि तकनीकी रूप से इसे महाभियोग नहीं कहा जाता, लेकिन प्रक्रिया लगभग वैसी ही होती है—संसद की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जाता है।
- 🧑⚖️ लोकपाल (Lokpal), केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) लोकपाल अधिनियम, 2013 और CVC अधिनियम के तहत विशेष प्रक्रिया से हटाए जा सकते हैं। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा स्पीकर, विपक्ष के नेता आदि की सिफारिश शामिल होती है।
⚖️ महाभियोग की प्रक्रिया संक्षेप में:
- संसद के किसी भी सदन में नोटिस पेश करना।
- प्रस्ताव पर समर्थन के लिए आवश्यक हस्ताक्षर (राष्ट्रपति के लिए – 1/4 सदस्य, न्यायाधीशों के लिए – 100 लोकसभा या 50 राज्यसभा सदस्य)।
- प्रस्ताव पर जांच समिति का गठन।
- रिपोर्ट के आधार पर बहस और वोटिंग – दोनों सदनों में विशेष बहुमत आवश्यक।
- प्रस्ताव पारित होने पर राष्ट्रपति पद से हटाने की स्वीकृति देते हैं।
🧠 सवाल जो उठते हैं:
- क्या महाभियोग राजनीतिक हथियार बन सकता है?
- क्या इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि वास्तव में लागू ही नहीं हो पाती?
- क्या इसे और सरल एवं पारदर्शी बनाने की जरूरत है?
📌 निष्कर्ष:
महाभियोग एक असाधारण प्रक्रिया है—संविधान में अंतर्निहित ‘चेक एंड बैलेंस’ का शक्तिशाली उपकरण। लेकिन इसके प्रयोग में अत्यंत संयम, प्रमाण और निष्पक्षता की आवश्यकता होती है। लोकतंत्र में शक्ति का संतुलन तभी स्थिर रहेगा जब जवाबदेही को गंभीरता से लिया जाएगा। राष्ट्रपति या न्यायाधीश हों या अन्य संवैधानिक अधिकारी—यदि वे अपने पद का दुरुपयोग करते हैं, तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, चाहे प्रक्रिया कितनी ही कठिन क्यों न हो।
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