बहराइच में पकड़ा गया पांचवां आदमखोर भेड़िया, वन विभाग के शिकंजे में आया शैतान

50 दिनों से भी अधिक समय से आदमखोर भेड़ियों के हमले लगातार जारी हैं। अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। 6 भेड़ियों के झुंड का हमला जारी है। इस बीच वन विभाग की कार्रवाई में पांचवां भेड़िया शिकंजे में आ गया है।

शाह टाइम्स।  उत्तर प्रदेश के बहराइच में पांचवें आदमखोर भेडिये को वन विभाग की टीम ने गिरफ्त में ले लिया है। वन विभाग की ओर से लगातार भेड़ियों को लेकर सर्च ऑपरेशन जारी है। जुलाई से ही बहराइच के महसी इलाके में भेड़ियों का आतंक काफी बढ़ा हुआ है। भेड़ियों के हमलों में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 10 बच्चे और एक महिला शामिल हैं। 6 भेड़ियों का झुंड बहराइच के लगभग 50 गांव में आतंक मचाए हुए थे। इन भेड़ियों ने गांवों के लोगों की नींद उड़ाई हुई है। वन विभाग की ओर से लगातार भेड़ियों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है। इसी दौरान टीम को यह बड़ी सफलता मिली है। वन विभाग ने पहले ही चार भेड़ियों को कब्जे में लिया था। इसके बाद से दो भेड़ियों की तलाश चल रही थी। अब पांचवा भेड़िया वन विभाग की गिरफ्त में आ गया है। बचे एक भेड़िये की तलाश के लिए वन विभाग की टीम लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही है।

बहराइच जिले की महसी तहसील के भेड़िया प्रभावित क्षेत्र में विभिन्न जगहों से भेड़ियों के दिखने की झूठी खबरों और तलाश स्थलों पर एकत्र होने वाली लोगों की भीड़ के कारण वन विभाग को भेड़ियों को पकड़ने या उन्हें मार गिराने के प्रयास में बाधा का सामना करना पड़ रहा है। भेड़ियों ने जुलाई के मध्य से अब तक आठ लोगों की जान ले ली है और करीब 20 से अधिक लोगों को घायल कर दिया है। डीएफओ अजीत प्रताप सिंह ने कहा कि जब-जब हम तलाशी अभियान के लिए किसी स्थान पर जाते हैं और पगमार्क (पैरों के निशानों) के आधार पर तलाशी शुरू करते हैं तो आम जन अपनी उत्सुकता को रोक नहीं पाते। लोगों की भीड़ से अभियान में बाधा आती है और जानवर के भाग निकलने की संभावना बन जाती है। हालांकि बीते दो तीन दिन से उपद्रवी भेड़िया ड्रोन अथवा स्नैप कैमरों में कहीं दिखाई नहीं दिया है।

डीएफओ बताते हैं कि एक और दिक्कत अफवाहों से आ रही है। शाम होते होते 10-15 जगहों से कहीं से दो भेड़ियों के होने, कहीं से चार के और कहीं-कहीं से तो छह भेड़ियों के होने की अफवाहें आ जाती हैं। वास्तव में वहां भेड़िया नहीं होता। लोग तलाशी अभियान के लिए दबाव बनाने लगते हैं। हालांकि, हम निर्णय अपने विवेक के आधार पर ही लेते हैं।

डीएफओ सिंह ने बताया कि बीते तीन चार दिन में एक बार हमने भेड़िए को घेर लिया था लेकिन वो भागने में कामयाब रहा, दूसरी बार उसके बारे में कुछ पता लगा, लेकिन हमारी घेराबंदी से पहले निकल गया। संभवतः वह ड्रोन की आवाज सुनकर भाग निकला। उन्होंने बताया कि भेड़िया प्रभावित क्षेत्र की निगरानी के दौरान 8-9 सितम्बर की रात उनकी किसी टीम को भेड़िए की स्नैप कैमरे या थर्मल ड्रोन से लोकेशन नहीं मिली और न ही गश्ती दल को कहीं पर भी उसके पदचिह्न दिखाई दिए।

डीएफओ ने बताया कि जन जागरूकता टीमें गांवों में पोस्टर और फ्लेक्स बैनर लगाकर तथा संगोष्ठी बैठकों के माध्यम से ग्रामीणों को उपद्रवी भेड़िए से बचाव हेतु जागरूक कर रही हैं। उन्होंने कहा कि रात्रि गश्त में टीम को जो लोग घरों से बाहर सोते मिलते हैं, उन्हें घरों के भीतर दरवाजे बंद करके सोने की हिदायत दी जा रही है। उन्होंने बताया कि उपद्रवी भेड़िए को संवेदनशील व संभावित आवागमन वाले गांवों के भीतर घुसने से रोकने के लिए उन गांवों के बाहर पटाखे छुड़ाए जा रहे हैं।

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