53 दिन में तीन गैंगस्टर्स की पुलिस कस्टडी में हत्या

साजिश और कत्ल एक जैसा, पहले अतीक-अशरफ अब जीवा

शाह टाइम्स ब्यूरो

लखनऊप्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के करीब 53वें दिन कुख्यात मुख्तार अंसारी के करीबी गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा की लखनऊ की अदालत में गोली मारकर हत्या कर दी गई। अतीक-अशरफ हत्याकांड के बाद इस गोलीकांड ने एक बार फिर यूपी की कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है। इन दोनों हत्याकांड को जिस तरह अंजाम दिया गया, उसमें कुछ बातें काफी मिलती-जुलती हैं। पहली अतीक और उसके भाई अशरफ को पुलिस सुरक्षा में कैमरे के सामने गोलियां मारी गईं थी, जीवा को भी उसी अंदाज में पुलिस सुरक्षा में गोली मारी गईं। दूसरी अतीक और अशरफ हत्याकांड में हमलावर पत्रकार के वेश में आए थे, जबकि गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी को मारने वाले हमलावर वकीलों के वेश में आए। लखनऊ के कोर्ट में बुधवार दोपहर अज्ञात बदमाशों ने गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

फायरिंग के दौरान एक बच्ची को भी गोली लगी है। हत्यारा वकील की ड्रेस में था। उसकी पहचान विजय यादव पुत्रा श्यामा यादव निवासी केराकत जिला जौनपुर के रूप में हुई है। पुलिस छानबीन में जुटी हुई है। हमले में एक सिपाही लाल मोहम्मद भी घायल हुआ है। हमले में घायल डेढ़ साल की बच्ची को बलरामपुर अस्पताल भेज दिया गया है। जहां उसका इलाज चल रहा है। हमलावर वकील की ड्रेस में थे और कोर्ट परिसर के बाहर वारदात को अंजाम दिया है। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है। गैंगस्टर संजीव पूर्वांचल के भाजपा विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में आरोपी था। मुख्यमंत्री योगी ने घटना की जांच के लिए एसआईटी गठित की है। मोहित अग्रवाल, नीलब्जा चैध्री और प्रवीण कुमार एक सप्ताह में जांच पूरी कर रिपोर्ट देंगे।

कोर्ट में हत्या होना कानून व्यवस्था की पोल खोलने वालाः अखिलेश यादव

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ कोर्ट में हुई हत्या पर कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। प्रदेश में नियमित डीजीपी तक नहीं है। कार्यवाहक डीजीपी से काम चलाया जा रहा है। ऐसा तीसरी बार हुआ जब कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि क्या दिल्ली और लखनऊ का इंजन टकरा रहा है। लखनऊ में महिलाएं असुरक्षित हैं। हर जिले में महिलाओं के साथ घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि नोएडा में महिला वकील की हत्या हुई है। कन्नौज के सांसद चौकी में घुस कर पुलिस को पीट रहे हैं। कचहरी में हत्याएं हो रही हैं। सवाल यह नहीं है कि कौन मरा है सवाल ये है कि कहां मारा जा रहा है। कोर्ट में हत्या होना कानून व्यवस्था की पोल खोलता है। भाजपा के लोगों ने मंदिर में मांस रखवाया था। जिसकी वजह सं दंगा हुआ था। 15 अप्रैल की रात अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की काल्विन अस्पताल के गेट गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तीन शूटरों ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को महज 18 सेकेंड के भीतर मौत की नींद सुला दिया था। शूटरों ने दोनों के पुलिस जीप से उतरने के 32वें सेकेंड में पहली गोली दागी थी। इसके बाद लगातार कुल 20 गोलियां दागीं और 50वें सेकेंड तक दोनों भाइयों का काम तमाम हो चुका था। अतीक व अशरफ को रात 10.36 पर लेकर पुलिस काल्विन अस्पताल के गेट पर पहुंची थी।

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