यूनिफॉर्म सिविल कोड मुसलमानों को कबूल नहीं : मौलाना अरशद मदनी

maulana arshad madni shah times
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हिंदुस्तान एक धर्मनिरपेक्ष देश है। संविधान ने देश के हर एक नागरिक को पूरी धार्मिक स्वतंत्रता दी है

देेवबन्द। विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband ) के सदर मुदर्रिस एवं जमीयत उलमा ए हिंद ( Jamiat Ulama e Hind ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ( Maulana Arshad Madani) ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि मुसलमान समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू किए जाने को बिल्कुल भी कबूल नहीं करेंगे, क्योंकि यह मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

मौलाना मदनी ने कहा कि भारत एक सेक्यूलर देश है। जहां सभी धर्मावंलबियों को धार्मिक स्वतंत्रता मिली है। इसलिए समान नागरिक संहिता को लागू किया जाना देशहित में नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद धार्मिक मामलों सरकार के दखल को स्वीकार नहीं करेगी, लेकिन हम इसका विरोध सड़कों पर उतरकर नहीं, बल्कि संविधान के दायरे में करेंगे।

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हिंदुस्तान एक धर्मनिरपेक्ष देश है। संविधान ने देश के हर एक नागरिक को पूरी धार्मिक स्वतंत्रता दी है। समान नागरिक संहिता संविधान के अनुच्छेद 25, 29 और 30 में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों के खिलाफ है, इसलिए अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि संविधान के अध्याय 3 के तहत उल्लिखित मूल अनुच्छेद में किसी को भी बदलाव करने का अधिकार नहीं है, चाहे वह संसद हो या सुप्रीम कोर्ट।

मौलाना मदनी ने दो टूक कहा कि जमीयत धार्मिक मामलों और इबादत से जुड़े किसी भी मामले पर किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। कहा कि समान नागरिक संहिता का खुलकर विरोध किया जाएगा, लेकिन जमीयत या इससे जुड़ा कोई भी व्यक्ति कभी सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन नहीं करेगा। बल्कि कानून के दायरे में रहकर इसे रोका जाएगा।

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