
Global criticism mounts on Pakistan at UNSC after Pahalgam attack – Shah Times Exclusive
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट चरम पर है। भारत की सैन्य तत्परता से डरे पाकिस्तान ने UNSC में क्लोज डोर मीटिंग बुलाई, लेकिन वहां भी उसे मुंह की खानी पड़ी। जानिए पूरी एडिटोरियल समीक्षा।
भारत में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद जो सबसे अधिक बौखलाया हुआ नजर आ रहा है, वह कोई और नहीं, बल्कि पाकिस्तान है। आतंकियों के खिलाफ भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई और सैन्य तैयारियों ने इस पड़ोसी देश की नींद उड़ा दी है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर सहानुभूति बटोरने की कोशिश में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की क्लोज डोर मीटिंग बुलाई, लेकिन वहां भी उसे करारा झटका लगा।
UNSC में पाकिस्तान की पोल खुली
क्लोज डोर मीटिंग में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने अपने झूठे बयानों से यह जताने की कोशिश की कि बैठक का मकसद पूरा हो गया। उन्होंने दावा किया कि कश्मीर मसले पर चर्चा हुई, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर थी। सूत्रों के मुताबिक, UNSC सदस्यों ने पाकिस्तान से तीखे सवाल पूछे और लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका पर उसे घेरा।
False Flag नैरेटिव को किया गया खारिज
बैठक में पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे ‘False Flag Operation’ के नैरेटिव को सिरे से खारिज कर दिया गया। सदस्यों ने स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद को वैध ठहराने की कोई कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पहलगाम हमले में धर्म के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाने की घटना को भी गंभीरता से लिया गया।
चीन ने भी नहीं दिया साथ
सबसे बड़ी हैरानी की बात यह रही कि पाकिस्तान के पुराने साथी चीन ने भी उसकी पीठ थपथपाने से परहेज किया। अमेरिका, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन जैसे स्थायी सदस्य पहले से ही पाकिस्तान की आतंकी भूमिका को लेकर सजग हैं। ऐसे में क्लोज डोर मीटिंग पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गई।
पाकिस्तान का ‘तीसरे पक्ष’ वाला राग फिर फेल
एक बार फिर पाकिस्तान ने पुराने ढर्रे पर चलते हुए भारत-पाक मसले में तीसरे पक्ष की दखल की अपील की, जिसे UNSC सदस्यों ने दो टूक नकार दिया। सभी ने इसे द्विपक्षीय मुद्दा माना और बातचीत के जरिए हल निकालने की बात कही। बैठक में न तो कोई प्रस्ताव आया और न ही कोई आधिकारिक बयान—यानी पाकिस्तान की डिप्लोमेसी एक बार फिर असफल रही।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की संयम की अपील
UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बैठक से पहले दोनों देशों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की थी। उन्होंने यह भी कहा कि सैन्य समाधान किसी विवाद का हल नहीं होता। लेकिन पाकिस्तान ने इस अपील को अपनी सहूलियत के अनुसार मोड़ने की कोशिश की।
‘पानी’ को हथियार कहने की कोशिश भी नाकाम
पाकिस्तान ने भारत के सिंधु जल समझौते को एकतरफा स्थगित करने की आलोचना करते हुए यह मुद्दा भी बैठक में उठाया, लेकिन कोई खास समर्थन नहीं मिला। ‘पानी को हथियार’ का नैरेटिव भी इस बार असरदार नहीं रहा।
पाकिस्तान की रणनीति उलटी पड़ी
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को भारत के संभावित जवाबी कदम का भय है। इस डर में उठाए गए कूटनीतिक प्रयास भी उलटे पड़ गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर न तो कोई देश उसकी झूठी कहानियों पर यकीन कर रहा है, और न ही भारत को रोकने की अपील कर रहा है। आज की तारीख में पाकिस्तान की सबसे बड़ी कमजोरी यही है—वह न तो अपने झूठ पर टिक पा रहा है, और न ही अपने कर्मों की जिम्मेदारी ले पा रहा है।