हाथों को धोने से संक्रमण को फैलने से रोकने और बचने में मदद

Wash your Hands Shah Times
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हाथों को धोने से संक्रमण को फैलने से रोकने और डायरिया से बचने में मदद मिल सकती है

नई दिल्ली,(सफदर अली) । किसी भी बीमारी में रोकथाम इलाज का ही एक हिस्सा हो सकता है। महामारी के मुश्किल समय में हमने इसे महसूस भी किया क्योंकि इस दौरान कोरोना से बचने के लिए अच्छी तरह से हाथ धोना (Wash your Hands) एक ऐसा उपाय था, जिससे कोरोना महामारी से बचा जा सकता था। सरकार और हेल्थकेयर आर्गेनाइजेशन द्वारा इस उपाय को अमल में लाने के लिए लोगों को काफी प्रोत्साहित किया गया। दुनिया के अधिकांश देशों में साफ़-सफाई अभी भी एक बहुत बड़ी समस्या है। इसी कारण से WHO ने WASH (वाटर, सैनिटेशन और हाइजीन) को सभी के लिए एक मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी है और इसे दुनिया के लिए बनाए गए सतत विकास लक्ष्यों में शामिल किया है।

भारत में WASH की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी इसमें सुधार और जागरूकता बढ़ाने की बहुत ज्यादा गुंजाइश है। 2010 से 2013 के दौरान भारत में दस्त जैसी बीमारियों के कारण सभी आयु समूहों में 7.5% मौतें दर्ज की गईं, जबकि 2019 में देश में एक्यूट डायरिया बीमारी के 1.32 करोड़ से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए थे। यह आंकड़ा इस बात का सबूत है कि प्रभावी निवारक उपायों जैसें कि हाथ धोने जैसी स्वच्छता आदतों को अमल में लाना कितना जरूरी है।

प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, के एचओडी-इंटरनल मेडिसिन डॉ. अनुराग सक्सेना कहते हैं कि हाथों का उपयोग लगभग रोजमर्रा के हर एक काम में किया जाता है। इसलिए हाथों को अच्छे से धोना अच्छी स्वच्छता बनाए रखने का सवसे महत्वपूर्ण उपाय है। स्वच्छता होने से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। जाने-अनजाने हम बहुत सारे कीटाणुओं के संपर्क में आ जाते हैं और ये डायरिया जैसी तकलीफदेह बीमारी के साथ-साथ कई संक्रमणों को भी जन्म दे देते हैं। निमोनिया, डायरिया और कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए हाथ धोना सबसे पॉकेट-फ्रेंडली तरीका है। हाथों से हम भोजन तैयार करते हैं, खाते हैं, सार्वजनिक स्थानों को छूते हैं, और उन चीजों को छूते और संभालते हैं जिन्हें पहले कई लोग छुए या संभालते थे, घावों का इलाज करते हैं, बीमार व्यक्ति की देखभाल करते हैं और इसी तरह के अपने हाथों से बहुत कुछ काम करते हैं। महामारी के कारण हाथ धोने के महत्व के बारे में लोगों को जानकारी मिली, लेकिन हमने इसे गंभीरता से नही लिया है या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। यूनिसेफ के अनुसार, लोग, विशेषकर पुरुष, स्वच्छता सुविधाओं का लगातार उपयोग नहीं करते हैं। इस दिशा में बड़े पैमाने पर सुधार के लिए जागरूकता फैलाने के लिए प्रभावशाली राजनीतिक समर्थन और आदत में बदलाव की सख्त जरूरत है।

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डॉ. अनुराग सक्सेना के अनुसार डायरिया के लिए साल्मोनेला, नोरोवायरस और E. कोलाई O157 जैसे रोगाणु जिम्मेदार होते हैं। ये लोगों या जानवरों के मल में ज्यादा पाए जाते हैं। इन रोगाणुओं में हाथ, पैर और मुंह की बीमारी और एडेनोवायरस जैसे सांस से सम्बंधित संक्रमण फैलाने की क्षमता होती है। रोगाणु आसानी से लोगों के हाथों में आ सकते हैं और शौचालय का उपयोग करते समय या कोई अन्य गतिविधि करते समय फैल सकते हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार, समाज में हाथ धोने की जागरूकता कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में डायरिया की समस्या को लगभग 58% तक कम करने में मदद कर सकती है। हर साल 5 साल से कम उम्र के करीब 18 लाख बच्चे डायरिया और निमोनिया की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं। यही प्रमुख कारण है, जिससे पूरी दुनिया के बच्चे खतरनाक बीमारियों के संपर्क में आते हैं।

इस बारे में तथ्यों का क्या कहना है ?

रिसर्च के अनुसार, लगभग 2.3 लोगों के घर में साबुन और पानी से हाथ धोने की सुविधा नहीं है। सुविधाओं के अभाव में बच्चों को काफी परेशानी होती है। आधे स्कूलों में साबुन और पानी से हाथ धोने की सुविधाओं की कमी है। इससे लगभग 802 मिलियन स्कूल जाने वाले बच्चे प्रभावित होते हैं। इसके अलावा हेल्थकेयर सुविधाएं प्रदान करने वाले स्थानों पर स्वच्छता सुविधाओं, विशेष रूप से हाथ धोने के लिए साबुन और पानी की कमी है। इन स्थानों में वायरल बैक्टीरिया और अन्य संदूषणों को ग्रसित होने का सबसे बड़ा मौका होता है। अगर यहां उचित स्वच्छता नहीं रखी जाती है, तो गंभीर परिणाम और यहां तक कि जानलेवा परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं।

हाथों की साफ़-सफाई बनाये रखना

हाथ धोने में लगने वाले समय और किस समय हाथ धोना चाहिए, इसे समझना बहुत जरूरी है। इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा फैलाने के लिए घर और समाज में हाथ की स्वच्छता के बारे में जागरूकता लागू करने की आवश्यकता है। दूर-दराज के क्षेत्रों एवं शिक्षण संस्थानों में हाथ धोने के संसाधनों के साथ स्वास्थ्य प्रचार सामग्री को बांटना चाहिए। संसाधन के अन्तर्गत साबुन, सैनिटाइजर एवं अन्य सामग्री आती है। 15 अक्टूबर ग्लोबल हैंडवाशिंग डे है। इस दिन हाथों की स्वच्छता के महत्व को बताने के लिए स्कूलों में पोस्टर बनाने आदि जैसी कई गतिविधियां और रचनात्मक प्रतियोगिताएं आयोजित की जानी चाहिए। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में व्यक्ति वीडियो, रचनात्मक अभियान, सोशल मीडिया हैशटैग, पॉडकास्ट और अन्य चीजों के जरिये जागरूकता को बढ़ावा दे सकता है ताकि इस नेक काम से लाखों लोगों की ज़िन्दगी बच सके।

सेवाओं को उपलब्ध कराकर और नीतियों को लागू करके हुए बदलाव की निगरानी करना

हाथ धोने की नीतियों, रणनीतियों और कार्य योजनाओं को विकसित करने के लिए सरकार और स्वास्थ्य सेवा प्राधिकरण एक साथ आकर इसमें योगदान दे सकते हैं। भारत इस समय जनसंख्या के मामले में लगभग सबसे बड़ा देश है। इसलिए जागरूकता फैलाने के लिए देश के कोने-कोने तक पहुंचना असंभव है। हालांकि डिजिटलीकरण से पूरी दुनिया में हर जगह पहुंचा जा सकता है। सरकार के साथ-साथ हेल्थकेयर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये जागरूकता सन्देश फैला करके एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। सबसे कमजोर तबके और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए सेवाओं को सुलभ बनाने से इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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