
Oplus_16908288
भारत ने बगलिहार और सलाल बांध के गेट बंद कर सिंधु जल संधि को टालते हुए पाकिस्तान को जल संकट में डाला, जिससे जल को कूटनीतिक हथियार बनाया जा रहा है।
(शाह टाइम्स) भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ नया जल मोर्चा खोलापाकिस्तान में बढ़ती आतंकी गतिविधियों और हालिया पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को टालते हुए एक बड़ा रणनीतिक कदम उठाया है। भारत ने चिनाब और झेलम नदी पर बने बगलिहार और सलाल बांधों के गेट बंद कर दिए हैं, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाला पानी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पहली बार 75 वर्षों में चिनाब का जलस्तर दो फीट तक गिर गया है।
पानी रोकने की रणनीति और उसकी सीमा
हालांकि भारत के पास इन नदियों के पानी को लंबे समय तक रोकने की पूरी क्षमता नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत वर्तमान जल संरचनाओं के माध्यम से सिर्फ 3.6 एमएएफ यानी कुल पानी का लगभग 1% ही रोक सकता है। भारत ने यह कदम जलाशयों की सफाई के नाम पर उठाया है, पर इसकी टाइमिंग और प्रभाव को देखते हुए इसे पाकिस्तान के खिलाफ जल प्रहार के रूप में देखा जा रहा है।
पाकिस्तान में घबराहट और परमाणु धमकी
भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत की इस पहल को युद्ध की शुरुआत बताया है। पाकिस्तान को डर है कि भारत अब पानी को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगा जिससे देश में सूखा या बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं।
गाद की सफाई या रणनीतिक संकेत?
बगलिहार बांध के अधिकारियों का कहना है कि यह एक रूटीन ड्रिल है और गाद हटाने की प्रक्रिया है जो अब तक अगस्त में होती थी, लेकिन इस बार मई में ही शुरू कर दी गई। इसलिए इसे एक राजनीतिक और सामरिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
जल संधि को चुनौती और भविष्य की योजनाएं
भारत की ओर से सिंधु जल संधि को टालने का सीधा असर यह हुआ है कि अब झेलम, चिनाब और सिंधु पर बांध और जलाशय बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। भारत की योजना है कि अगले 5-8 वर्षों में पर्याप्त जल संरचनाएं खड़ी की जाएं ताकि पाकिस्तान को भेजा जाने वाला पानी रोका जा सके।
पानी बना नया हथियार
यह स्पष्ट है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ सैन्य ही नहीं, बल्कि जल कूटनीति के ज़रिए भी पाकिस्तान को घेर रहा है। यह कार्रवाई भारत की ओर से एक स्पष्ट संदेश है कि अब निर्णायक कदम उठाए जाएंगे और पानी भी एक रणनीतिक संसाधन के रूप में इस्तेमाल होगा।