
India revokes Celebi’s clearance amid rising outrage over Turkey and Azerbaijan’s support to Pakistan – Shah Times
भारत के विरोध में खड़े तुर्की और अजरबैजान: क्या अब रणनीतिक दूरी जरूरी है?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन कर भारत की सैन्य कार्रवाई की आलोचना की। जानिए क्यों भड़के भारतीय और क्या है इसका कूटनीतिक व आर्थिक असर।
हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई देशों के चेहरे बेनकाब कर दिए हैं। विशेष रूप से तुर्की और अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान का खुला समर्थन और भारत की कार्रवाई की निंदा करना केवल राजनयिक असहमति नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता पर प्रत्यक्ष सवाल है। इस घटनाक्रम ने भारतीय जनमानस के भीतर तीव्र आक्रोश पैदा कर दिया है।
तुर्की और पाकिस्तान: सैन्य गठजोड़ का खतरनाक रुख
भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई सैन्य कार्रवाई के बाद तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन का पाकिस्तान को फोन करना और “शांतिपूर्ण नीति” की आड़ में भारत की आलोचना करना यह दर्शाता है कि तुर्की अब एक तटस्थ खिलाड़ी नहीं रहा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में पकड़े गए तुर्की के ड्रोन और पाकिस्तान-तुर्की के बीच रक्षा तकनीकी साझेदारी भारत की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बनती जा रही है।
अजरबैजान की ‘एकजुटता’: रणनीतिक या सांस्कृतिक गठजोड़?
अजरबैजान का इस्लामाबाद के पक्ष में बयान देना और भारतीय हमलों की निंदा करना यह दर्शाता है कि वह केवल धार्मिक-सांस्कृतिक निकटता से नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से पाकिस्तान के साथ खड़ा है। यह रुख तब और खतरनाक हो जाता है जब यह दोनों देश पाकिस्तान को सैन्य तकनीक, ड्रोन और कूटनीतिक समर्थन दे रहे हों।
भारत की जवाबी प्रतिक्रिया: नीतिगत सख्ती और आर्थिक बहिष्कार
सरकार ने तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी सेलेबी की एयरपोर्ट सुरक्षा मंजूरी रद्द कर यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि भारत अब आत्म-सम्मान से समझौता नहीं करेगा। साथ ही, ट्रैवल कंपनियों, व्यापारियों और फिल्म उद्योग द्वारा तुर्की और अजरबैजान का बहिष्कार यह दर्शाता है कि देशवासी भी अब जागरूक होकर राष्ट्रीय नीति के साथ खड़े हैं।
क्या अब ‘सॉफ्ट डिप्लोमेसी’ की जगह ‘स्मार्ट डिप्लोमेसी’ का समय है?
भारत को अब यह समझने की जरूरत है कि कूटनीति केवल शांति वार्ता तक सीमित नहीं रह सकती। जो देश भारत की पीठ में छुरा घोंपें, उनसे व्यापार, पर्यटन या सांस्कृतिक सहयोग बनाए रखना राष्ट्रीय स्वाभिमान के खिलाफ है। आवश्यकता इस बात की है कि भारत अब कूटनीतिक मैप को रीसेट करे, जहां मित्र वही हों जो संकट में साथ खड़े हों।