
Indian Crows shahtimesnees
केन्या की सरकार का एक अजीबो गरीब फैसला सामने आया है।
मोम्बासा,( Shah Times) । केन्या की सरकार ने भारतीय मूल के कौवों को बड़ी संख्या में खत्म करने की घोषणा की है। सरकार ने इस साल के आखिर तक यानी दिसंबर 2024 तक दस लाख कौवों को मारने घोषणा की है।
केन्या सरकार के वन्यजीव विभाग का कहना है कि कौवा उनके प्राथमिक पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा नहीं हैं। केन्या वन्यजीव सेवा ने इंडियन हाउस कौवे को आक्रामक विदेशी पक्षी कहा है। उनका कहना है की कौवे दशकों से वहां की जनता के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं और स्थानीय पक्षियों की आबादी को काफी प्रभावित कर रहे हैं। जिसके लिए वहां की सरकार समस्या के समाधान के लिए तैयार है।
केन्या के वन्यजीव प्राधिकरण का कहना है कि कौवे पूर्वी अफ्रीका के मूल निवासी नहीं हैं लेकिन कुछ सालों में तटीय शहरों मोम्बासा, मालिंदी, वाटमू और किलिफी में उनकी आबादी में बहुत तेजी आई है। इनकी आबादी से हो रही समस्याओं को देखते हुए प्राधिकरण ने 2024 के आखिर तक दस लाख घरेलू कौवों को मारने का लक्ष्य रखा है। बताया जा रहा है की कौवों को मारने की घोषणा एक बैठक में की गई थी। इस बैठक में होटल उद्योग के प्रतिनिधियों और घरेलू कौवा नियंत्रण में विशेषज्ञता वाले पशु चिकित्सकों सहित अन्य हितधारकों को शामिल किया गया था।
केन्या के वन्यजीव प्राधिकरण की ओर से शनिवार को जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि कौवे तटीय शहरों के होटल उद्योग के लिए भी बड़ी मुसीबत बन रहे हैं। उनका कहना है की कौवों की वजह से पर्यटक खुले मैं बैठकर भोजन भी नही कर पाते है, ऐसे में होटल व्यवसायी भी इनसे बहुत परेशान हैं और कौवों से छुटकारा पाने की अपील कर रहे हैं। केन्या वन्यजीव सेवा यानी केडब्ल्यूएस ने कहा है कि कौवे को खत्म करने का निर्णय सार्वजनिक हित को देखते हुए लिया गया है।
केडब्ल्यूएस के मुताबिक भारतीय घरेलू कौवे केन्या के जीवों के लिए भी एक खतरा बन गए हैं। उनका कहना है की भारतीय कोवे स्थानीय पक्षी प्रजातियों का शिकार कर रहे हैं। रोचा केन्या के संरक्षणवादी और पक्षी विशेषज्ञ कॉलिन जैक्सन के अनुसार, भारतीय प्रजातियों ने केन्याई तट पर छोटे देशी पक्षियों के घोंसलों को नष्ट करके और उनके अंडों और चूजों का शिकार करके उनकी आबादी में काफी कमी कर दी है। देशी पक्षियों की आबादी कम होने से पर्यावरण को खतरा हो रहा है। कौवों का प्रभाव केवल उन प्रजातियों तक ही सीमित नहीं है, जिन्हें वे सीधे निशाना बनाते हैं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में वहां की सरकार ने भारतीय कोवों को मारने का कदम उठाया है।