
सद्भावना मंच सेकुलर फ्रंट का दीपावली मिलन कार्यक्रम, बघरा तांगा स्टैंड पर लोगों द्वारा सामूहिक दीप जलाते हुए दृश्य।
दीपावली मिलन में इंसानियत के दीये और मोहब्बत की रौशनी
जब हर मज़हब ने एक साथ जलाए दीये, बना सौहार्द का प्रतीक
सद्भावना मंच सेकुलर फ्रंट का दीपावली मिलन कार्यक्रम इस बार भी एकता, भाईचारे और इंसानियत के दीप जलाने का प्रतीक बना। सभी धर्मों, विचारधाराओं और तबकों के लोग एक साथ मिलकर “रौशनी” का असली मतलब समझाते नज़र आए — जो है मोहब्बत और मेल-मिलाप।
📍Muzaffarnagar 🗓️ 18 अक्टूबर 2025✍️ Asif Khan
दीपावली, जो अपने भीतर रौशनी, सुकून और उम्मीदों का पैग़ाम समेटे है, हर साल सिर्फ घरों में ही नहीं, दिलों में भी दीये जलाती है। मगर इस बार बघरा तांगा स्टैंड पर जो नज़ारा देखने को मिला, वो सिर्फ एक त्योहार का नहीं, बल्कि एक सोच का जश्न था — सेक्युलर सोच, मोहब्बत की जुबान, और इंसानियत की पहचान।
✨ इंसानियत के नाम दीये
सद्भावना मंच सेक्युलर फ्रंट की तरफ़ से आयोजित “दीपावली मिलन” कार्यक्रम में हर धर्म, हर तबके, हर पेशे के लोग एक छत के नीचे आए। मिठाई खिलाकर और दीप जलाकर उन्होंने साबित किया कि असली रौशनी तभी होती है जब दिल रोशन हों, न कि सिर्फ मकान।
कार्यक्रम के संयोजक गोहर सिद्दीकी ने कहा – “हम दीया इसलिए नहीं जलाते कि अंधेरा मिटे, बल्कि इसलिए कि लोगों के बीच मोहब्बत बढ़े।”
इस मौके पर उद्योगपति अशोक अग्रवाल, सपा नेता राकेश शर्मा , कुश पुरी, वरिष्ठ व्यापारी कृष्ण गोपाल मित्तल, पूर्व सभासद विपुल भटनागर, बसपा नेता सुशील शर्मा, मुकेश योगेन्द्र बालियान, नन्द शर्मा, संजय शर्मा, हाजी आसिफ़ राही, डॉ. साजिद, सभासद नदीम खां, व्यापारी नेता तरुण मित्तल, दीपक गंभीर, दिलशाद पहलवान, डॉ. नूरहसन सलमानी, दिलनवाज़ सागर कश्यप, मास्टर इसरार खान, शमीम कस्सार, इकराम कस्सार, बदर खाँ, डा. शाहवेज मुर्शीद खान, ई. नफीस राना, हाजी दिलशाद अंसारी, भूरा कुरेशी, उमर खान, रोहित जैन, पूर्व राज्य मंत्री प्रेम चंद गौतम, हिमांशु गोयल, मास्टर शहज़ाद, मास्टर सरताज, हाजी शराफत इस्माइल, हाजी ज़हीर अहमद, मास्टर दिलशाद, राहुल भारद्वाज समेत बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।
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💫 एकता की मिसाल
जब मंच पर हिन्दू, मुस्लिम, सिख, जैन, सभी ने मिलकर दीप जलाए, तो लगा जैसे दिलों के बीच की दीवारें पिघल रही हों। किसी ने मिठाई खिलाई, किसी ने गले लगाया — और यही दृश्य बताता है कि भारत की असली पहचान विविधता में एकता है।
“रंग, मज़हब, जात – ये सब बातें तब मिट जाती हैं जब इंसानियत की बात होती है।”
एक बुज़ुर्ग सहभागी ने कहा, “दीवाली हो या ईद, खुशियाँ बाँटने का मज़ा तभी है जब सब साथ हों।”
🕊️ सामाजिक सन्देश
कार्यक्रम में वक्ताओं ने साफ़ कहा कि धर्म त्योहारों को बाँटने के लिए नहीं, जोड़ने के लिए होते हैं।
आज जब समाज में नफ़रत के बीज बोने की कोशिशें हो रही हैं, ऐसे आयोजनों की ज़रूरत और बढ़ जाती है।
हाजी आसिफ़ राही, जो “पैग़ाम-ए-इन्सानियत” संस्था से जुड़े हैं, बोले –
“हम हर त्योहार को मोहब्बत की ज़ुबान से मनाते हैं, ताकि आने वाली नस्लें जानें कि इंसान पहले है, मज़हब बाद में।”
🌼 मोहब्बत की नई परंपरा
दीपावली मिलन का यह आयोजन अब एक मिसाल बन चुका है।
हर साल की तरह इस साल भी मंच पर “लोकतंत्र का दीया” जलाया गया — जो बताता है कि हमारा देश सिर्फ संविधान से नहीं, संस्कार से भी जुड़ा है।
“दीये की लौ सिर्फ घर नहीं, ज़मीर भी रोशन करती है।”
यह पंक्ति कार्यक्रम में बार-बार सुनाई दी।
🌍 संवाद, न कि विवाद
कई वक्ताओं ने कहा कि समाज में संवाद की संस्कृति ज़िंदा रहनी चाहिए। अगर लोग बैठकर बात करें, तो गलतफ़हमियाँ खुद मिट जाती हैं।
इस मौके पर उपस्थित मास्टर इसरार खान ने कहा —
“हम सब एक दूसरे की ज़रूरत हैं, विरोधी नहीं। त्योहार हमें यह याद दिलाते हैं कि हर इंसान का दिल एक ही रोशनी से चमकता है — मोहब्बत की।”
🪔 “दीये से दीया जलता जाए”
कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना से हुआ। सबने मिलकर यह दुआ की कि देश में अमन, तरक़्क़ी और भाईचारा बना रहे।
दीप जलते रहे — दिलों में भी, ज़मीन पर भी।
यह दीवाली सिर्फ घरों में नहीं, इंसानियत की रूह में भी रौशनी भर गई।
💬 तर्क, सोच और संदेश
अगर कोई सोचता है कि ऐसे कार्यक्रम सिर्फ प्रतीकात्मक हैं, तो यह अधूरा सच है।
इन मेल-मिलापों से समाज में एक नई समझ पैदा होती है — कि मोहब्बत सिर्फ शब्द नहीं, कर्म है।
विवाद और तर्क ज़रूरी हैं, मगर अंत में जीत हमेशा इंसानियत की ही होनी चाहिए।
और यही इस दीपावली मिलन का सार था — दीया किसी मज़हब का नहीं होता, वो बस रोशनी देता है।




