मिशन मौसम 2026 तक मौसम और जलवायु पूर्वानुमान को उन्नत और सटीक बनाएगा

2000 करोड़ के बजट के साथ लागू किए जा रहे मिशन मौसम से देश में मौसम और जलवायु के पूर्वानुमानों की प्रणालियां मजबूत तथा अचूक होंगी ।

New Delhi, (Shah Times) ।  पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) का कहना है कि 2000 cr के बजट के साथ लागू किए जा रहे मिशन मौसम से देश में मौसम और जलवायु के पूर्वानुमानों की प्रणालियां मजबूत तथा अचूक होंगी ।

राजधानी में पृथ्वी भवन में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के एक मीडिया कार्यक्रम में पृथ्वी विज्ञान सचिव डॉ. एम रविचद्रंन ने भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) के प्रमुख डॉ. वी एस प्रसाद ने इस मिशन के बारे में जानकारी दी।सरकार ने मिशन मौसम के लिए दो वर्ष की अवधि में दो हजार करोड़ रुपये के परिव्यय का निर्णय लिया है। इसका लक्ष्य भारत को “मौसम के लिए तैयार” और “जलवायु स्मार्ट” बनाना है। इस मिशन का उद्देश्य देश में मौसम और जलवायु निगरानी, मेधा, प्रतिमान और भविष्यवाणी में वृद्धि कर बेहतर, अधिक उपयोगी, अचूक और समय से सेवा प्रदान करना है।

मंत्रालय का कहना है कि इससे जलवायु परिवर्तन और मौसम संबंधी घटनाओं के तीव्र प्रभावों से लोगों बचाने में मदद मिलेगी और समाज को परिस्थितियों का सामना करने में अधिक समक्षम बनाया जा सकेगा।पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव रविचद्रंन के अनुसार मिशन मौसम आकाशीय और सामयिक स्तर पर पूर्वानुमान तथा वायु गुणवत्ता आंकडों को उन्नत करने तथा लंबी अवधि में मौसम प्रबंधन को रणनीतिक बनाने में सहायक होगा।उन्होंने कहा,“मार्च 2026 तक हम बेहतर निगरानी के लिए रडार, हवा प्रोफाईलर और रेडियोमीटर के बड़े नेटवर्क की स्थापना करेंगे। निगरानी की बेहतर प्रणाली के साथ आंकड़ो के प्रबंधन की व्यवस्था भी उन्नत होगी। पूर्वानुमान को बेहतर करने के लिए हम फ्यूज (संलयन) भौतिकी आधारित आंकिक मॉडल और डेटा पर आधारित एआई/एमएल का प्रयोग करेंगे।.. इस मिशन के पूरा होने से हम पर्यावरणीय विज्ञान में अधिक नवाचार, आरएंडडी और उन्नतिकरण के साक्षी बनेंगे।

”अधिकारियों के अनुसार मिशन मौसम के अंतर्गत मौसम निगरानी की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और प्रणालियों का विकास किया जाएगा तथा बेहतर अस्थायी और स्थानिक सैंपलिंग/कवरेज़ द्वारा उच्च श्रेणी के वातावरणीय निगरानी की व्यवस्था की जाएगी।इस मिशन में उन्नत यांत्रिक पेलोड सहित अत्याधुनिक रडार और मौसम उपग्रहों की सुविधा का विस्तार, अधिक सक्षम कंप्यूटर(एचपीसी) सुविधाओं का प्रयोग, मौसम और जलवायु प्रक्रियाओं तथा पूर्वानुमान क्षमताओं के तालमेल में सुधार उन्नत पृथ्वी प्रणाली मॉडल तथा डेटा युक्त प्रणालियों(एआई/एमएल का प्रयोग) को विकसित करना भी शामिल है।

इसके अंतर्गत मौसम प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास और अंतिम छोर तक संपर्कता के लिए अत्याधुनिक प्रसार प्रणाली का विकास भी किया जाएगा।मिशन का लक्ष्य 50 डॉप्लर मौसम रडार(डीडब्ल्यूआर), 60 रेडियो सोंडे/रेडियो विंड(आरएस आरडब्ल्यू) स्टेशन, 100 डिस्ड्रोमीटर,10 विंड प्रोफाईलर, एक शहरी टेस्ट बेड, एक प्रक्रिया टेस्ट बेड, एक महासागर अनुसंधान स्टेशन और ऊपरी वायु निगरानी के साथ 10 समुद्रीय स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित करना है।नागरिकों ओर हितधारकों को लाभ पहुचाने के लिए आंकड़ों को प्रसार तथा सेवाओं और क्षमता निर्माण का विस्तार किया जाएगा। देश में कोई भी मौसम प्रणाली जांचविहीन नहीं रहेगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय मौसम, जलवायु तथा प्राकृतिक संकट के लिए उन्नत सेवाएं प्रदान करेगा जिससे विभिन्न क्षेत्रों को आर्थिक और सामाजिक लाभ का हस्तांतरण सुनिश्चित किया जा सके।

मंत्रालय के अनुसार इस मिशन को भारत मौसम विज्ञान विभाग, एनसीएमआरडब्ल्यूए और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान मुख्य रूप से मिशन मौसम को लागू करेंगे। इन संस्थानों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, शिक्षाविदों एवं उद्योगों के सहयोग के साथ-साथ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्य संस्थानों (भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान) द्वारा सहयोग किया जाएगा, जिससे मौसम और जलवायु विज्ञान तथा सेवाओं में भारत के नेतृत्व में वृद्धि की जा सकेगी।

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