
धरती की सतह से 643 किलोमीटर नीचे सबसे बड़ा महासागर मौजूद है। अमेरिका के इलिनॉय राज्य के रिसर्चर्स ने इसकी खोज की है।
शाह टाइम्स। यह धरती रहस्यों से भरी हुई है। कभी नासा के वैज्ञानिक चांद पर अनोखी खोज करते हैं तो कभी समुद्र के अंदर। जी हां एक बार फिर से वैज्ञानिकों ने धरती के अंदर से एक बहुत बड़े महासागर की खोज की है तो चलिए बात करते हैं इस खोजे गए महासागर के बारे में?
दरअसल धरती की सतह से 643 किलोमीटर नीचे सबसे बड़ा महासागर मौजूद है। अमेरिका के इलिनॉय राज्य के रिसर्चर्स ने इसकी खोज की है। इसमें सभी महासागर के कुल पानी से तीन गुना ज्यादा पानी मौजूद है। धरती पर पानी कहां से आया, इसकी खोज करते वक्त वैज्ञानिकों को इस महासागर के बारे में पता चला।
बता दे कि यह महासागर पृथ्वी की सतह के नीचे एक नीले रंग की चट्टान में छिपा हुआ मिला है। खोज करने वाली टीम के वैज्ञानिक स्टीव जैकोब्सन ने बताया कि यह चट्टान एक स्पंज की तरह है जो पानी को सोखता रहता है। 2 हजार सीस्मोमीटर के जरिए 500 भूकंप की स्टडी के बाद इस महासागर का पता चला है। दरअसल, पृथ्वी के नीचे उठने वाली तरंगें जब किसी नमी वाली चट्टान से होकर गुजरती हैं, तो इनकी गति धीमी पड़ जाती है। सीस्मोमीटर के जरिए इन्हीं तरंगों की स्टडी के बाद इस रहस्मय महासागर की खोज की गई।
धरती से 643 किलोमीटर नीचे मिला यह महासागर
बता दें कि वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के नीचे पानी का महासागर ढूंढ निकाला है, जो हमारे पैरों से 643 किलोमीटर नीचे मिला है और यह एक चट्टान में जमा हुआ है। जिस चट्टान में यह पानी खोजा गया है उस चट्टान का नाम रिंगवुडाइट चट्टान है। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का कहना है कि यह एक मेंटल रॉक है, जिसके अंदर एक परंपरागत स्पंज जैसी अवस्था में पानी जमा है।
पानी की मात्रा हो सकती है बहुत अधिक
जानकारी के अनुसार इस चट्टान के अंदर पानी न तो ठोस है और ना ही तरल और ना ही किसी गैस के फॉर्म में यह कोई अनोखी चौथी चीज है। वैज्ञानिकों का कहना है की रिंगवुडाइट चट्टान एक स्पंज की तरह है जो पानी को सोख लेती है। इसका खुलासा इसकी खोज में जुटे भूभौतिकीविद् स्टीव जैकबसन ने किया। स्टीव का कहना है कि यह चट्टान कुछ खास है, जो की हाइड्रोजन को आकर्षित करती है और पानी को खुद में सोखने देती है। इस खनिज में बहुत ज्यादा पानी हो सकता है।
भूकंप के अध्ययन के दौरान इस महासागर के बारे में मिली जानकारी
स्टीव का कहना है कि हमारे वैज्ञानिक दशकों से लापता हुए गहरे पानी की खोज कर रहे थे और यह हमारी इस खोज को समझने में और मदद कर सकता है। आपको बता दें कि वैज्ञानिकों को इस बात का पता तब चला, जब वैज्ञानिक भूकंप का अध्ययन कर रहे थे। उन्होंने देखा कि भूकंपमापी पृथ्वी की सतह के नीचे शॉकवेव्स कैच कर रहे थे. इसके बाद पता चला की रिंगवुडाइट में पानी रुका हुआ था। वैज्ञानिकों की मानें तो चट्टान में मात्र एक फीसदी पानी है। इससे यह समझ जा सकता है कि पृथ्वी की सतह के नीचे महासागरों की तुलना में तीन गुना ज्यादा पानी मौजूद है।