
Sitapur police have arrested Shivananand alias Vikas Rathore, a fake priest involved in the murder of journalist Raghvendra Bajpai. The accused plotted the murder after the journalist exposed his immoral activities and demanded hush money. The case has sparked widespread outrage and calls for a deeper investigation
सीतापुर के पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड में बाबा शिवानंद के कुबूलनामे ने खोले चौंकाने वाले राज़। पढ़ें पूरी कहानी और पुलिस जांच की गहराई।
Lucknow (Shah Times)। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में घटित पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी हत्याकांड ने न सिर्फ समाज को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि कानून व्यवस्था और नैतिक मूल्यों की स्थिति पर भी गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। 8 मार्च 2025 को हुई इस निर्मम हत्या का खुलासा 34 दिन बाद हुआ, जिसमें एक तथाकथित बाबा शिवानंद उर्फ विकास राठौर मुख्य साजिशकर्ता के रूप में सामने आया है।
कुकर्म, ब्लैकमेल और हत्या: एक भयावह कहानी
पुलिस जांच में सामने आया है कि बाबा शिवानंद, जो कि महोली के कारेदेव मंदिर में सह-पुरोहित था, ने अपने ही शिष्य के साथ अनैतिक संबंध बनाए थे। पत्रकार राघवेंद्र ने इस कुकर्म का वीडियो बना लिया था और इसी आधार पर आरोपी बाबा से 20 लाख रुपये की मांग कर रहे थे। आरोप है कि लगातार ब्लैकमेलिंग और समाज में बदनामी के डर से बाबा ने हत्या की सुपारी दे डाली।
सुपारी किलिंग के पीछे की साजिश
शिवानंद बाबा ने अपने दो सहयोगियों – निर्मल सिंह और असलम गाजी – के साथ मिलकर हत्या की योजना बनाई। 4 लाख रुपये में सौदा तय हुआ और 3 लाख में शूटर हायर किए गए। 8 मार्च की दोपहर, हेमपुर ओवरब्रिज पर राघवेंद्र को चार गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया गया।
पुलिस अधीक्षक चक्रेश मिश्रा ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि हत्या में कुल पांच आरोपी शामिल थे, जिनमें से तीन – बाबा और उसके दो साथी – गिरफ्तार हो चुके हैं, जबकि दो शूटरों की तलाश जारी है। नोएडा सहित अन्य क्षेत्रों में एसटीएफ और क्राइम ब्रांच की टीमें सक्रिय हैं।
वायरल कुबूलनामा और पुलिस की जांच पर सवाल
मामले में उस समय नया मोड़ आया जब आरोपी बाबा का कुबूलनामा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें उसने जुर्म स्वीकार करते हुए हत्या की साजिश की पूरी कहानी बताई। हालांकि, मृतक पत्रकार की पत्नी रश्मि बाजपेयी और मां रजनी बाजपेयी ने पुलिस की कहानी को एकतरफा बताते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं।
परिजनों का कहना है कि बाबा एक मोहरा हो सकता है और उसके पीछे किसी बड़े नेटवर्क की भूमिका भी हो सकती है। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि राघवेंद्र द्वारा लगातार घोटालों और सफेदपोशों की खबरें उजागर करने के कारण उनकी हत्या कराई गई हो सकती है।
पत्रकारिता पर हमला, लोकतंत्र पर खतरा
यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता और समाज के नैतिक ढांचे पर करारा प्रहार है। जब एक पत्रकार को सच्चाई उजागर करने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़े, तो यह लोकतंत्र के लिए एक खतरे की घंटी है।
सरकार और कानून व्यवस्था से यह अपेक्षा की जाती है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और सिर्फ अपराधियों को ही नहीं, बल्कि उनके पीछे छिपे ताकतवर हाथों को भी बेनकाब किया जाए।