
भारत का आज के समय में अगर कोई मुख्य लक्ष्य है तो वो है यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्यापार के समझौते करना और एक एतिहासिक आयाम स्थापित करना।
नई दिल्ली (Shah Times): भारत का आज के समय में अगर कोई मुख्य लक्ष्य है तो वो है यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्यापार के समझौते करना और एक एतिहासिक आयाम स्थापित करना। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार जोर देते रहते हैं। इसी विषय पर यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन भारत के दो दिवसीय दौरे पर पहुंची थीं। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और दोनों ने इस साल के अंत तक एक मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने पर सहमति जताई।
सप्लाई चेन को मजबूत करना है प्रमुखता
आयोग की अध्यक्ष फॉन डेय लाएन ने नई दिल्ली में कहा, “हम अपनी महत्वपूर्ण सप्लाई चेन को मजबूत करना चाहते हैं। उन्होंने बैटरी, फार्मा, सेमीकंडक्टर, स्वच्छ हाइड्रोजन और रक्षा उद्योगों में सहयोग की बात रखी। उन्होंने बताया कि पिछले 10 सालों में दोनों देशों में व्यापार 90 फीसदी बढ़ा और 2023-24 में यह 137.5 अरब डॉलर तक पहुंचा है।
पीएम मोदी ने भी रखी अपनी राय
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिल्ली और ब्रसेल्स एक “परस्पर लाभकारी” समझौते पर पहुंचने का प्रयास करना हमारी प्रमुखता हैय़ उन्होंने आगे बताया कि हमने टीमों को कह दिया है कि वे इस वर्ष के अंत तक दोनों देशों के बीच लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप दे दें। उन्होंने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष फॉन डेय लाएन को संबोधित करते हुए कहा, “आपकी भारत यात्रा ने हमारी साझेदारी में एक नई ऊर्जा, उत्साह और गति जोड़ी है।
अभी भी बताई जा रही हैं कई चुनौतीयां
भारत और ईयू ने 2021 में व्यापार वार्ता फिर से शुरू की थी लेकिन कई मुद्दों पर दोनों देश सहमत नहीं हो पाये थे। यूरोपीय संघ की पहली शर्त है कि भारत कार, शराब और अन्य उत्पादों पर आयात शुल्क को कम कर दे। दुसरी तरफ भारत चाहता है कि यूरोपीय बाजार में उसकी दवाओं और रसायनों को अधिक पहुंच मिल सकें। लेकिन भारत ईयू के कार्बन टैक्स प्रस्ताव का विरोध करता रहा है, जो 2026 से स्टील, एल्युमिनियम और सीमेंट पर 20 फीसदी से 35 फीसदी तक शुल्क लगा सकता है। ऐसे में दोनों के बीच कई चुनौतीयां हैं जो अक्सर आड़े आ जाती हैं और आगे की रणनीति बनाना मुश्किल हो जाता है।
दोनों के बीच सुरक्षा है अहम् विषय
व्यापार के अलावा सुरक्षा सहयोग भी भारत-ईयू संबंधों में अहम भूमिका निभा सकता है। फोन डेय लाएन ने घोषणा की कि भारत और ईयू जापान और दक्षिण कोरिया की तरह एक सुरक्षा साझेदारी की संभावना तलाशने में जुटे हैं। ईयू भारत के साथ संबंध मजबूत करने पर जोर दे रहा है वो भी ऐसे समय में जब उसके साथ अमेरिका के बीच तनाव बढ़ रहा है। डॉनल्ड ट्रंप ने हाल ही में कई देशों पर नए टैरिफ लगाए जिससे ईयू-भारत को झटका लगा है।
भारत-रूस के रिश्ते भी हैं चुनौती
ईयू के लिये मौजूदा समय में भारत-रूस के संबंध इस वार्ता में एक बड़ा मुद्दा है। ईयू रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन का समर्थन कर रहा है, जबकि भारत अब भी रूस से रक्षा उपकरण खरीद रहा है ऐसे में पश्चिमी देशों ने भारत-रूस से दूरी बनाने का दबाव डाला है था लेकिन भारत अपने स्टेंड पर कायम रहा। मोदी और फोन डेय लेयेन की मुलाकात से संकेत मिलता है कि दोनों पक्ष इस साल मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना चाहते हैं।