आखिर क्या है लड्डू का इतिहास, आइए जानते है।
जब भी घर में खुशी का माहौल होता है तो सब लड्डू मांगते है। चाहे किसी का रिज्लट आया हो या फिर शादी तय हुई हो या फिर कोई भी छोटी-बड़ी खुशियां हो सब हर मौके पर लड्डू मांगते है। लेकिन क्या आप जानते है आखिर क्या है लड्डू का इतिहास है। अगर आपका जवाब ना है तो आपको निराश होने की जरूरत नही है क्योकि आज हम आपको लड्डू के इतिहास के बारे में बताने वाले है। तो चलिए जानते है क्या है लड्डू का इतिहास।
यात्रा और युद्ध का साथी
अगर आप सोचते हैं कि लड्डू केवल घर की रसोई तक सीमित थे, तो ऐसा नहीं है। दक्षिण भारत, खासकर चोल साम्राज्य के समय, नारियल लड्डू (नारियाल नाकरू) यात्रा और युद्ध के दौरान सैनिकों का पोषण साधन थे। ये लंबे समय तक खराब नहीं होते थे और ऊर्जा से भरपूर होते थे। इसलिए योद्धा इन्हें अपने साथ ले जाते थे।
चीनी आई और मिठास बढ़ गई
पहले के लड्डू ज्यादातर आयुर्वेदिक और कम मीठे होते थे, लेकिन जैसे-जैसे चीनी का चलन बढ़ा (खासतौर पर ब्रिटिश काल में), लड्डू में भी एक नया मोड़ आया। गुड़ की जगह सफेद चीनी ने ली और स्वाद में आई वो मिठास, जिसने लड्डू को हर उत्सव का हीरो बना दिया।
सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है लड्डू
विदेशों में बसे भारतीयों ने भी लड्डू को अपनी संस्कृति का हिस्सा बनाए रखा है। अमेरिका, कनाडा, दुबई, और यूरोप के देशों में लड्डू शादियों और त्योहारों में बड़े चाव से परोसे जाते हैं। कई फ्यूजन लड्डू जैसे “किवी-ड्रायफ्रूट लड्डू” या “प्रोटीन लड्डू” भी अब ट्रेंड में हैं।