
राजभवन किया कूच, जमकर की नारेबाजी, सौंपा ज्ञापन
यूसीसी को औचित्यहीन व गैर जरूरी बता चुका है 21 वां लॉ कमिशन
यूसीसी से एससी-एसटी व ओबीसी समाज के अधिकारों पर पड़ेगा प्रभाव
देहरादून। भारी बारिश के दौरान पानी से तर-ब-तर सर्व समाज (Sarv Samaj ) के लोग बुधवार को समान नागरिक संहिता (UCC) के खिलाफ देहरादून में सड़कों पर उतरे ओर राजभवन कूच किया, मगर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हाथीबढ़कला पुलिस चौकी के पास रोक लिया। प्रदर्शनकारी यहीं धरने पर बैठ गये ओर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। नुमाइन्दा ग्रुप की ओर से राज्यपाल के नाम ज्ञापन एसडीएम रमोला (SDM Ramola) के माध्यम से प्रेषित किया गया।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक बुधवार को नुमाइंदा ग्रुप की ओर से आयोजित राजभवन कूच में शामिल होने के लिये सर्व समाज के लोग दिलाराम बाजार चौक पर जमा हुए, भारी बारिश में भीगते हुए सभी प्रदर्शनकारी घण्टों यहा जमे रहे, उसके बाद प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते हुए राजभवन कूच करने को निकल पड़े। प्रदर्शनकारी जैसे ही हाथीबढ़कला पुलिस चौकी के पास पहुंचे पुलिस ने रोक लिया।
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बार काउंसिल की पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता रजिया बेग ने कहा कि समान नागरिक संहिता के बहाने देश से संविधान को समाप्त किये जाने की साजिश चल रही है। रजिया बेग ने कहा कि उत्तराखण्ड का यूसीसी देश भर में कैसे लागू होगा, यह एक देश एक विधान कैसे हुआ। कहा कि समान नागरिक संहिता के लागू होने से एससी-एसटी व ओबीसी समाज को मिलने वाले आरक्षण प्रभावित होगा। वही, राज्यपाल को प्रषित ज्ञापन में कहा कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रारम्भिक प्रक्रिया में एक कमेटी का गठन किया गया और इस कमेटी की अवधिकाल में समय-समय पर इसकी कार्यप्रणाली पर उंगलियाँ उठती रही है, पूरे भारत में कही भी यह कानून लागू नहीं किया गया है। पूर्व राज्यमंत्री उत्तराखण्ड याकूब सिद्दीकी ने कहा कि देश के संविधान को बचाने के लिये सड़कों पर उतरे हैं।
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इस राज्य में यूसीसी को लागू करने की न हीं आवश्यकता है और न ही तर्क संगत है। राज्य में इस कानून को लागू किये जाने की दशा में सभी धर्म व जातियों की धार्मिक व रीति रिवाज ओर परम्पराऐं जो भिन्न-भिन्न है बाधित होगी और समाज में एकता के बजाय अनेकता व वैमनष्य का माहौल उत्पन्न होगा जो राज्य के विकास व सदभाव में बाधक होगा। यह कि 21 वे लॉ कमीशन की 2018 की सरपरस्ती में जस्टिस बी एस चौहान (Justice B S Chauhan) ने भारत में समान नागरिक संहिता को औचित्यहीन व गैर जरूरी बताया था क्या इन पाँच वर्षों में हमारी सरकारे भारत वर्ष के समस्त नागरिकों को संविधान की धारा 38 के तहत बराबर कर पाई है ? वास्ताविकता यह है की भारत की सारी संपदा पर कुछ पूंजीपतियों का कब्जा होता जा रहा है और आर्थिक असमानता दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इसलिये भारत वर्ष में समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं है। इस ज्ञापन के माध्यम से उत्तराखण्ड प्रदेश में नागरिक नुमाइन्दा ग्रुप मांग करता है कि आप अपने विवेक व स्तर से राज्य में इस कानून को लागू न करने के सम्बन्ध में ठोस कार्यवाही करें, इस सम्बन्ध में चल रही प्रक्रियाओं पर तुरन्त रोक लगायी जाये। इस मौके पर तन्जीम रहनुमाये मिल्लत के केन्द्रीय अध्यक्ष लताफत हुसैन, आम इन्सान
विकास पार्टी उत्तराखण्ड (Vikas Party Uttarakhand) के अध्यक्ष आकिल अहमद, पूर्व राज्यमंत्री उत्तराखण्ड याकूब सिद्दीकी, कम्यूनिस्ट कॉमरेड जबर सिंह पावेल, रिटायर्ड इंजीनियर मौ. नसीर खान, इरफान कुरैशी, इमरान कुरैशी, राव जाहिद, मुकीम अहमद पार्षद, इतात खान पार्षद, जाकिर अंसारी, तौसीर अहमद, यामीन खान, तौकीर अहमद व मौ. दानिश खान सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।